वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि।
मंगलानां च कर्त्तारौ वन्दे वाणी विनायकौ॥'— % &-
भास्करस्य यथा तेजो, मकरस्थस्य वर्धते।
तथैव भवतां तेजो, वर्धतामिति कामये।।
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*उत्तर से उन्नति*
*दक्षिण से दायित्व*
*पूर्व से प्रतिष्ठा*
*पश्चिम से प्रारब्ध*
*नैऋत्य से नैतिकता*
*वायव्य से वैभव*
*ईशान से एश्वर्य*
*आकाश से आमदनी*
*पाताल से पूँजी*
*दसों दिशाओ से शान्ति सुख समृद्धि सफलता प्राप्त हो* !
*दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ*,,,,🌹🙏-
तुम चाहो तो मुझे छोड़ के जा सकती हो,
तुमसे पहले भी किसी को नहीं रोका मैने ..-
दूर जाने के तुमसे कोई इरादे ना थे ।
पर क्या करते तुम हमारे ही ना थे ।।-
एक दिन सब समाप्त हो जाएगा, मनुष्य के हृदय से सम्मान, प्रेम सब कुछ... सुन्दरता जीत जाएगी, आकर्षण ही प्रेम का प्रारूप बनेगा, लोग हृदय नहीं जानना चाहेंगे वो चुनेंगे मात्र प्रतिष्ठा, धन, रूप..!!!
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घर-घर में खुशियाँ पले, सुखी रहे संसार !
एक यही बस प्रार्थना ,गजानन्द आपके द्वार !!
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अर्शा हो गया है उनकी अक्स को देखें ,
पर आज भी उनकी हल्की सी याद..
हजार टुकड़ों में बिखेर देती है मुझे !!-
• अपना कार्य स्वयं करना
• आलस्य का परित्याग
• आत्मविश्वास से भरपूर-
हर वक्त चुकानी पड़ती है आजादी की कीमत ,
यह आजादी की सौगात नहीं है मुफ्त में आई !
अतीत में फांसी जेल हंटर तलवार से थी चुकाई ,
वर्तमान में सरहद पर सीना तान खड़े हैं सुरमई !!
अब स्वतंत्रता का मोल समझ रहे हैं हिंदुस्तानी,
कोरोना ने पर कतर लॉकडाउन में जब फसाई !!!-