Jay Ranpura   ('જય'/'जय')
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Content Writer | Writer | Gujarati and Hindi Ghazalkar | Aspiring Podcaster and Anchor
Joined 10 April 2024


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19 APR AT 15:46

उसने घर जाते कहा, अलविदा मत कहो,
फिर से मिलने की उम्मीद रखो, अलविदा मत कहो।

कहा था उसने की मैं कभी अलविदा नहीं कहती,
रिश्ते नहीं तोड़ती मैं, अलविदा मत कहो।

अनजाने ही उसने एक अच्छी आदत लगा दी,
अब मैं भी कहने लगा हूँ, अलविदा मत कहो।

वो दूर है फिर भी हमारा रिश्ता कायम है दोस्त,
हमारे दिलों ने हमसे कहा है, अलविदा मत कहो।

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19 APR AT 15:35

आँखों पे नींद की घनी गहराई छाती है, और तेरी याद आती है,
रात में उस चाँद को तन्हाई सताती है, और तेरी याद आती है।


पलकों से अब टूटे ख्वाबों का बोझ उठाया नहीं जाता,
औंस रातभर चेहरे पे बरसाई जाती है, और तेरी याद आती है।

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17 APR AT 13:33

राम-सीता

राजा बनने के बदले जब जाना पड़ा बनवास,
मर्म यही है प्रेम का, तन-मन का हो सहवास,
सीखा गया वो विरह कि क्या था उनके पास,
तार संबंध के क्यूँ टूटे जब स्नेह पे हो विश्वास।

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15 APR AT 13:32

ક્યાંથી વ્યક્ત કરું જે ભાવ મનનો આજ છે,
શબ્દો જ્યાં થઈ રહ્યા મુજથી નારાજ છે.

એ દૂરથી પૂછે, "કેમ છે?", જવાબ દઉં, "મજામાં",
કાશ એ આવીને જોવે કે મારું શહેર તારાજ છે.

એના વિચાર ચાલ્યા કરે મનમાં તો ચાલવા દઉં છું,
બાકી વ્યસ્ત માણસ છું, મારે ય કામ છે, કાજ છે.

દીવાનગીના સિંહાસનથી હવે ઉતરવું છે કિન્તુ,
એનો પ્રેમ માથે ચડયો છે ને પાગલપન તાજ છે.

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13 APR AT 13:38

आज की सुबह मानो ज़रा सी धीमी पड़ गई,
चाय आज खुद बना के खुद पीनी पड़ गई।


वो अदरक वाली चाय की मिठास बेहद याद आई,
मैंने शक्कर ज़्यादा डाली फिर भी फ़ीकी पड़ गई।

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12 APR AT 18:30

मेरी ज़िंदगी ने मुझे हमेशा आबाद रखा,
और एक इश्क़ था जिसने मुझे बर्बाद रखा।

मैंने कहा चलिए कुछ पुरानी बातें याद करे,
उन्होंने सबसे पहले मेज़ पे विवाद रखा।

मौसम नहीं हम कि निकल के फिर लौट आए,
पर इस उसूल में हमने उनको एक अपवाद रखा।

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11 APR AT 13:02

रमज़ान में आपका दीदार हमसे गुनाह करवा देता,
आपको छत पे देख मैं रोज़ा खोलने ही वाला था।

ईद मुबारक।

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