सुप्रभात! अभिनंदन!!
व्हाट्सएप का अवश्य हम लाभ लें
साझा सरोकार निमित्त उपयोग करें
पर ज्ञान वृद्धि हेतु पुस्तकों का ही संग करें
अग्रेषित संदेशों की सत्यता परखें फिर मानें
अक्सर ही इनके निहितार्थ भ्रामक हैं जानें
अतः अपने तईं उचित विधि सत्यापित करें
सांझी बातों के मंच पर एक-दूजे का सम्मान करें
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सूरज चांद सितारों से नापे जाने का किस्सा है
कथा धरा पर उम्र की उनके खेलों का हिस्सा है
आना जाना फूलों सा खिलना हँसना मुरझाना
इससे ज्यादा क्या तेरा क्या मेरा जरा समझना
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मानव-मन अनंत सदा रणभूमि निरंतर
जूझे जीवन-जंजीरों के पेच-ओ-खम से
झूठों का कब्जा हुआ सच की रसोई पर
असत्य के अतिसार से निवारण हो कैसे-
मुफ़्त की घृणा लूट रहे लोग
प्रेम का मूल्य भूल रहे लोग
धर्म के लिए अधर्म नाच रहा
अफीमची धर्मोपदेश बांच रहा
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रेत ज्यों मुट्ठी से बहती है
ओस की बूंदें पत्तों पे ज्यों
आंगन होती ज्यों फिसलन
अग्निरेख ज्यों लाल लखन
जनम जनम की गाथा बिखरी
दिनकर घूमे ले रातों की डोरी
दिया-बाती को ईंधन-अभिलाषा
आखर आखर में भरकर आशा
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हम हमारी बातों की बातें करते हैं
न तुम सुनो हमारी न हम सुनते हैं
दोनों अपने अपने खानों में खेलते हैं
समझदारी को रसातल में भेजते हैं
असत्य कथा को दिल से सच मानते हैं
चलो आज मुहब्बत मुहब्बत खेलते हैं
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कितनी सांसें पास धरे, कितने अरमान घुले हुए
किसी एक दिन मरना है, तबतक जीना चाहिए
उबड़ खाबड़ रस्ते हैं, पथरीली पगडंडी है
थोड़ा सुस्ताना अच्छा है, उठकर चलना चाहिए
जीवन धरा की प्रकृति, बहुरंग समाज संस्कृति
नदी में बहता पानी जैसे, अविरल बहना चाहिए
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राहे जिंदगी जैसे तैसे मैं चला
हँसते रोते कहाँ तक आ गया
उम्र उम्मीद आईना बदल गया
देखते देखते अजनबी हो गया-
बहुत सी बातों की उम्मीदें पाली थी
सूनी आँखों में बेकस इंतजार क्यूँ है
मोड़ दर मोड़ मिलती बिछड़ती रही
कटेंगे पाश हमारे उम्मीद तो नहीं है-
प्रत्येक व्यक्ति अपने व्यक्तित्व की सवारी पर अपनी जीवन यात्रा तय करता है। हम सभी भिन्न व्यक्तित्वों के स्वरूप हैं। इसमें कुछ गलत नहीं है। कठिनाई स्वयं को ठीक ठीक नहीं समझने के कारण होती है।
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