घर की रौनक होती है बेटियां !
मां बाप का गौरव होती है बेटियां !
न जाने क्यों लोग इनको कहते हैं पराया !
वास्तव में तो ये होती है घर की छाया !
न जाने लोग इन्हें क्यों नही लेने देते सांस !
बेटियां कोई पत्थर नहीं ये भी है इंसान !
पापा के आँसू को है पोंछती !
चेहरे पर उनके मुश्कान लाती !
दुनिया ने ये कैसी रश्म है बनाई !
एक दिन पराया कहकर हो जाती है उनकी विदाई !
फिर एक समय आता है !
पिता से मिलने भी पति की आज्ञा मांगती है !
बेटी वो है जो कोख का दर्द भी सहती है !
और फिर बेटी भी मा बन जाती है !!
बेटियां ही एक मकान को घर बनाती है !!
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