आपकी खुशियों के उचित प्रबंध हो जाये
निरन्तर सफलताओं के अनुबन्ध हो जाये
सौरभ सा प्रफुल्लित हो ये प्यारा सा जीवन
जिसमे गमों के सारे द्वार अब बन्द हो जाये
❤️❤️शुभकामनाएं प्यारे छोटे भाई को💐💐
प्रिय भाई अवतरण दिवस की अनन्त ,असीमित,आकाश भर शुभकामनाएं
कालजयी आदिदेव आपके ह्र्दयधाम में विराजमान सभी इच्छाओं को इस वर्ष पूरी करें
जन्मदिवस की पुनः कोटिशः बधाई ,❤️👏👏
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अपनी कबीले की हद में रहूंगा
खुल कर कहना अपनी परम्परा
या तो चुभ जाऊंगा,
या ... read more
आपकी खुशियों के उचित प्रबंध हो जाये
निरन्तर सफलताओं के अनुबन्ध हो जाये
दृष्टि में आप की यशकाय हो सारी सृष्टि
जिसके गमों के सारे द्वार अब बन्द हो जाये
शुभकामनाएं प्यारी दृष्टि बेटू आपको को अवतरण दिवस की अनन्त ,असीमित,आकाश भर शुभकामनाएं
कालजयी रामलला सरकार आपके ह्र्दयधाम में विराजमान सभी इच्छाओं को इस वर्ष पूरी करें
जन्मदिवस की पुनः कोटिशः बधाई ,👏👏-
आपकी खुशियों के उचित प्रबंध हो जाये
निरन्तर सफलताओं के अनुबन्ध हो जाये
प्रिये सा प्रफुल्लित हो ये प्यारा सा जीवन
जिसमे गमों के सारे द्वार अब बन्द हो जाये
❤️❤️शुभकामनाएं लेखिका साहिबा को💐💐
प्रिया को अवतरण दिवस की अनन्त ,असीमित,आकाश भर शुभकामनाएं
कालजयी आदिदेव आपके ह्र्दयधाम में विराजमान सभी इच्छाओं को इस वर्ष पूरी करें
जन्मदिवस की पुनः कोटिशः बधाई ,❤️👏👏
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भावना थी समर्पण की तभी वो समर में खोए थे।
राष्ट्र भक्ति वाला स्वयं ही अंतर्मन में बीज बोए थे।
दिवस था प्रेम का सच्चा डूबे थे नयनों में सभी ही,
वो देशप्रेम में जा माँ भारती के आँचल में सोए थे।।
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हे! माँ शारदे मैं द्वार पर आया हूँ तेरे,मेरी कविताओं को स्वर,लय और सार दे ।
सार दे ऐसा की कलम भी रुके नही और मन मे पावन विचारों की ध्वलधार दे।।
धार दे ऐसी की बहती रहे जो नित, और मानस में भर माँ भारती के प्रति प्यार दे।
प्यार करें न जो देश से अपने ही, तो उन पापियों को मैया फिर धरा से ही तार दे।।
✍️जय अवस्थी
कवि,दिल्ली-
दिल से नेक बहुत, पर गुस्सा तो सातवें आसमान हैं ।
उससे ही अपने सपने सारे ,और पूरे होते अरमान है ।।
कहि मित्र तो कही भाई ,बन कर स्नेह करें ही सदा ।
तभी तो उसमें ही बसती, हमारी जान और जहांन है।।
❤️❤️जन्मदिन की अनन्त शुभकामनाएं प्रिय आर्यन❤️❤️-
बार बार ,तार तार हो रही है बेटियों की अस्मिता, कैसे अब कोई लाचार नहीं होगा।।
सियासी आश्वासनों से भर गया है मन अब, कहते हैं फिर कोई बलात्कार नहीं होगा ।
इस बार भी दरिंदों को फाँसी पर न चढ़ाकर ,कारागार में ही होगी मेहमानी जो गर ।
तो याद रहे इस कलह में भारत का विश्वगुरू का सपना कभी साकार नही होगा ।।
✍️ जय अवस्थी
युवा कवि,दिल्ली
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अक्षर-अक्षर शिव है जिसका,शब्द-शब्द में बसे राम है।
बिहारी की जो हैं सतसई और मीरा की घनश्याम हैं ।।
जिससे पंत ,निराला ,दिनकर का चहुँ ओर यशगान हैं।
वो हिन्द की मनहर माँ हिंदी को मेरा बारम्बार प्रणाम हैं।।-
हौसलों से लबालब,गर्व हैं जिस पर देश को वो के. सिवान हो तुम ।
पूरे इसरो की ही नही बल्कि, सकल आर्यावर्त की पहचान हो तुम।।
विक्रम से ही तो सम्पर्क टूटा हैं, पर इसरो का संकल्प, कभी नही ।
फिर पहुचेंगे, क्योंकि निज पुरुषार्थ से भरे खुद एक चंद्रयान हो तुम।।
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मिले जो साथ गुरु का तो मेरे सारे धाम हो जायेंगे ।
रहे जो आशीष साथ उनका तो सारे काम हो जाएंगे ।।
गर जो धर लें हम सुद्रढ़ विस्वास गुरु विश्वामित्र में,
तो इस धरा जगत के मानव भी श्री राम हो जायेंगे।।
✍️- जय अवस्थी
युवा कवि
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