16 JUN 2017 AT 22:24

मेरे ग़म का मुझसे न पूछो सबब तुम,
मुझे तो किसी की वफ़ाओं ने लूटा।।

मुझे शौक-ए-आतिश रहा न कभी भी,
मुझे फिर भी जलती निगाओं ने लूटा।।

अगर पूछते हो तो इतना बता दूँ,
मुझे उन फरेबी सदाओं ने लूटा।।

मुझे मेरी किस्मत से उम्मीद क्या,
मुक़द्दर को मेरे गुनाहों ने लूटा।।

ख़ता क्या समंदर ने की थी बताओ,
मेरी कश्ती को तो हवाओं ने लूटा।।

- जावेद अहमद सिद्दीकी