Javed Khan Saroha Saroha  
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Joined 27 October 2017


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Joined 27 October 2017
8 FEB 2022 AT 14:07

दिमाग दिल फेफड़े गुर्दे ही नही आह ओ फुंगा
सबमें तूफान सा मचलता है आज कह दूं क्या— % &

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23 JAN 2022 AT 22:16

पुरसुकूँ नींद का तसव्वुर नही है आंखों में
नींद आती है तो बदख्वाबियां ले आती हैं

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20 OCT 2021 AT 15:09

दोस्तों से दुआ का हूं तलबगार
कई रोज़ से सख़्त हूं मैं बीमार

मेरी सेहत के लिए दुआ कीजिएगा।

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12 OCT 2021 AT 19:04

शर्तों के साथ होना सिकंदर नही कुबूल
गैर मशरुत फकीरी में मौज है अपनी

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12 OCT 2021 AT 16:42

तेरे हाथ में पत्थर मेरे माथे जख्म
कोई रिश्ता तो है दरमियां इनके

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12 OCT 2021 AT 15:18

ग़ज़ल कहने को कई काफिये बदले उसने
बड़ी मुश्किल से वो दिल की बात कह पाया

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12 OCT 2021 AT 13:40

सलीका आता है जिन्हें गुफ्तगू का
उन्हें रगबत है बहुत खामोशियों से

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12 OCT 2021 AT 12:35

धीरे धीरे ही सही ये अब्र छटेगा एक दिन
तेरे जुल्मों का खाता भी खुलेगा एक दिन
अभी तो जख्म हरे हैं ये लहु-जदा भी हैं
घड़ा ये पापों का तेरा भी भरेगा एक दिन

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12 OCT 2021 AT 12:30

लहजे में छुपी होती है इंसान की गरज़
जरिया ए गुफ्तगू हैं अल्फाज़ तो फकत
لہجے میں چھپی ہوتی ہے انسان کی غرض
ذریعہ گفتگو ہیں الفاظ تو فقط

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12 OCT 2021 AT 12:26

ज़िंदगी में कभी ऐसा भी मकाम आता है
जहां ख़ुद को भी अपनी खबर नहीं होती
ज़ुबान ए दिल में लिखे दर्द पढ़े जाते हैं
वहां पे कसरत ए जेर ओ ज़बर नही होती

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