यूँ तोह जनवरी का महीना हर साल आता है
मगर पिछले 2 सालों से जनवरी कुछ खास सी हो गयी है
कुछ याद रहे या न रहे मगर जनवरी की वोह तारीख हमेशा याद रहती है
चाहे कितना भी मशरूफ होऊं मगर उस वक़्त, वक़्त निकाल ही लेता हूँ
जनवरी की वोह 5 तारीख
वेसे तारीखें याद रखने में बड़ा बुरा experiance है मेरा
मगर इस तारीख में ना जाने ऐसा क्या है जहन से निकलती ही नही है
5 तारीख, शायद यह इतनी खास है की 4 तारीख की मगरिब में ही उसे विश कर देता हूँ ताकि मुझसे पहले उसे कोई विश न कर पाए 😉
एक एक दिन गिना है मेने
और न जाने कितनी ना गुजरने वाली राते गुजारी हैं
इस दिन के इंतज़ार में
ताकि उसे कह सकूँ
"जन्मदिन मुबारक हो"
"जन्मदिन मुबारक हो"
🎂🎉💞
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Onestep ahead to become a CA
Yes An Introvert
Pahla Piyar (Chaye)❤😘
Marwari Chora... read more
एक दिन बैठे बैठे मुझे अपनी दुनिया बुरी लग गयी,
जिसको आबाद करते हुए मेरे माँ बाप की ज़िंदगी लग गयी !
सब सवालात असबर थे जो इश्क़ के बाग़ में पूछे गए मुझसे
पर सिफ़ारिश पर इस महकमे में किसी ओर की नौकरी लग गयी !
#तहज़ीब 🖤-
सुनो! हाँ तुमसे ही कह रहा हूँ!
जो तुमनेमोहबत मे
ज़रा सी ईमानदारी दिखाई होती,
तो बात यूँ बढ़कर
इस किताब तक ना आयी होती!
और अब तुमसेकोई ख़ास
गिला-िशकवा भी नही मगर
मुझेआज भी याद है कैसे तुमने
जायज़ ढंग सेएक आिख़री अलिवदा
कहनेकी भी मोहलत ना दी थी -
और बस इसी एक बात का मलाल उम भर रहेगा ,
की तुमनेएक रोज़ बस चीज़े अचानक से खत्म कर दी !
और
शायद मोहबत के दौर की
सबसे ख़राब बात यही है
की आपको इस बात की भी ख़बर नही होती
की आपकी कौनसी मुलाक़ात आखिरी है!
चीज़े अचानक से चलते चलते ऐसे खत्म
होगी की आप को समलने का भी वक़्त नही मिलेगा,
आप बस यूँ ही आखिर मे तन्हा ही
अपने बिकरे टूकड़े समेटते रहोगे!-
माना एक आँचल था
जो हाथ में आते-आते छूट गया,
माना जैसे एक वादा हो
जो पूरा होते- होते टूट गया !
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Haram is Haram
Even if Everyone is Doing It.
Halal is Halal
Even if You’r the Only One Who’s doing It.🌸-
शायद ये वक़्त हमारा नहीं है...
शायद हम दोंनो ही एक दूसरे की मोहब्बत के लिए तेयार नहीं थे या यूँ कहें की तुम !
मगर वादा रहा तुमसे ,
हम फिर मिलेंगे किसी दूसरी ज़िंदगी के आख़िरी पहर में ,
जहाँ मे पहले से ज्यादाँ ज़िम्मेदार रहूँगा
और तुम ज़रा सी ओर समझदार !
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में उसकी बातों का अब भी यक़ीन करता हूँ
हज़ार बार जिसे आज़मा लिया मेंनें ।।।-
इस प्यार भरे हफ़्ते के इन आख़िरी लम्हातों में अपनी कहानी को विराम देते हुए बस इतना ही कहना चाहूँगा
चाहे पूरे साल कितनी भी नोटंकियाँ कर लो
आख़िर में यही कहना परेगा, अब्बा नहीं मानेंगें !!!
😂😂😂
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Sunnooo
एक बात जो में तुम्हें कभी कह ना पाया
की
मेरे माथे की शिकनों की उलझी हुई लकीरों को
तेरे होंटो की नमी से सुलझने की आदत है !!!
😘😘😘-