जान लीजिए सच्चे प्रेम की कोई बिरादरी नहीं होती, जो सच्चा प्रेम करे उसकी कोई बराबरी नहीं होती। जान लीजिए सच्चे प्रेम की कोई भी जा़त नहीं होती, वरना मां पार्वती की प्रभु शंकर से मुलाकात नहीं होती।
ये उस पिता की कहानी है। जिसकी जान उसकी बिटिया रानी है जिसकी गोद खेली और बिताई जवानी है जिसकी आँगन खेल वो बडी़ हुई मस्तानी है पापा-पापा रटते-रटते लगती बडी़ सुहानी है पिता वो,लडा़ जो समाज से दी कई कुर्बानी है जाने कयूँ बन गए वो पिता जैसे कोई रूहानी है जिसकी जान उसकी बिटिया रानी है ये उस पिता की कहानी है। ❣️