Jatin Mehndiratta   (सत्य)
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Instagram- Jatin.Mehndiratta
Joined 20 February 2017


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Joined 20 February 2017
13 AUG 2022 AT 23:37

मैं रोज़ उसे निहारता रह गया
उसकी चाँदनी को सवारता रह गया
देखते तोह सब है उसे
लेकिन मैं उसे दिल में उतारता रह गया...

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15 MAY 2022 AT 15:58

कि नसीब वाले को बदनसीब बना देता है
और बदनसीब को नसीब वाला
यह इश्क है जनाब
सब कुछ होकर भी अधूरा बना देता है
और सब खो कर भी पूरा बना देता है...

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15 OCT 2021 AT 13:38

कि खुद ही खुद का दिल तोड़ने में एक सुकून है जनाब
इसमें इलज़ाम लगाने वाले भी खुद ही है
और इलज़ाम लगना भी खुद पर है

कि खुद ही जिंदगी का जहर देने में एक सुकून है जनाब
इसमें मौत बोलाते भी खुद ही है
और मौत की तरफ जाते भी खुद ही है

कि खुद ही खुद को कंधा देने में एक सुकून है जनाब
इसमें रोना भी खुद के कंधे पर है
और चुप भी खुद को ही कराना है...

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3 OCT 2021 AT 20:19

ना जाने वो कैसे मेरे बिना कुछ कहे सब समझ जाते हैं
हमें लगता है हम अकेले हैं
हमें लगता है हम अकेले हैं
लेकिन वो भी उधर हमें मेहसूस कर उस रात सो नहीं पाते हैं....

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24 SEP 2021 AT 22:49

कि वो आग की तरह फैली और दिल को राख कर गई
मेरे जितने भी खराब हिस्से थे वो सब साफ़ कर गई...

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15 SEP 2021 AT 17:05

दिल में होकर भी दिल तोड़ ना सकी वो
हमसे चाह कर भी मुँह मोड़ ना सकी वो
कोशिश बहुत की उसने जाने कि
लेकिन चाह कर भी हमें छोड़ ना सकी वो,

शायद वो कोई रिश्ता रखना चाहती थी
पर उन टूटे हुए हिस्सों को जोड़ ना सकी वो...

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29 AUG 2021 AT 17:15

मशरूफ बहुत है वो
ना जाने उन्हें हमारी याद आती होगी
लेकिन यह जरूर है जनाब
जब हिचकि आती है उन्हें
वो हमारा नाम जरूर पुकारती होगी...

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19 JUN 2021 AT 14:07

कि अब सोचता हूं लिखूं तोह क्या लिखूं
अब मास्क में ढकी पहचान लिखूं
या पहले जो चमकती थी वो मुस्कान लिखूं
अब बीमार होने से डरता इंसान लिखूं
या पहले जो मस्त रहता था वो अंजान लिखूं
अब नजरें जो रहती परेशान लिखूं
या पहले जो साथ रहती थी वो शान लिखूं

कि अब सोचता हूं लिखूं तोह क्या लिखूं
अब जो चल रहे वो हालात लिखूं
या पहले जो होती थी वो बेपरवाह मुलाकात लिखूं
अब जो नहीं रहे उनका साथ लिखूं
या पहले जो होती थी वो बिताई बात लिखूं
अब जो सन्नाटे से भरी रात लिखूं
या पहले जो होती थी आवाज़ों के साथ जज़्बात लिखूं...

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25 APR 2021 AT 17:31

कि अब आसानी से बाजारों मे मौत बिक रही है
ज़रा संभल कर चले जनाब
न जाने अब वो किसकी किस्मत पे अपना नाम लिख रही है...

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18 APR 2021 AT 19:43

पसंद बहुत है पर मेरा नहीं है
दूर है मगर अंधेरा नहीं है

रात लंबी है काफी शायद इसका सवेरा नहीं है
पाना चाहता हूं उसे पर उसपे हक़ सिर्फ मेरा नहीं है

वो चाँद है चाँदनी की बाँहों में
उसे अलग करने का इरादा मेरा नहीं है...

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