Jatin Dwari   (जतिन(JEET))
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स्याही नहीं भाव हैं मेरे
जिन्हें बस पन्नो पे उतार लेता हूँ।
Joined 6 February 2018


स्याही नहीं भाव हैं मेरे
जिन्हें बस पन्नो पे उतार लेता हूँ।
Joined 6 February 2018
20 AUG 2022 AT 23:40

ज्यादा रौशनी भी चौंधिया देती हैं आंखों को
हारिल भी डरता है ; ऊंचाई से, अकेलेपन से
कई बार पंछी को पिंजरा याद आता है
जहां न गिरने का डर था, न दाने की चिंता
पुनः नया घर बनाता है चींटी एक डूबने के बाद
अज्ञेय ने सही कहा था
वेदना ही दृष्टि देती है!
अमर है केवल जिजीविषा!

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21 MAY 2022 AT 20:00

एक पत्ता
हड्डी जमाते ठण्ड से लड़ता है
लोहा पिघलाते सूरज से
आंख मिलाता है
और पेट पेड़ का भरता है
फिरभी पत्ते को नीचे गिराकर
पेड़ खिलखिलाकर हँसता है

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7 FEB 2022 AT 16:33

धूप से जलकर बून्द बनता बादल
फिर भी आसमां का साथ कहाँ तक है
हर कोई यहां कुछ पलों का हमराह
शरीर भी साथ कहाँ तक है
कांटे चुभते हैं तो सह लेना
रिश्ते टूटते हैं तो सह लेना
जीवन में पतझड़ कहाँ तक है
पत्ते झड़ेंगे , नये आएंगे
लोग बिछड़ेंगे, नये जुड़ेंगे
दर्द में जीना कहाँ तक है— % &

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4 FEB 2022 AT 20:48

किस गहरी उलझन में
बार बार फंसता है तू
कभी बेहद अपना फिर गैर समझता है तू
खड़ा रहता है उस मोड़ पर घंटों
रास्ता अलग कर
फिर क्या चाहता है तू
नदी के किनारे बैठ
क्यों आंखें भोगोता है
पानी पर लिखे वादे कहाँ हमेशा रहता है
ख्वाबों से बनाया गया घर
तूफानों में कहां टिकता है
फिर यादों में खुद को खोकर
क्यों फुट फुटकर रोटा है तू
जहां चोट खाकर गिरा था
उसी रास्ते पर फिरसे
क्यों चलता है तू— % &

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21 JAN 2022 AT 20:14

क्यों सबसे सीधे पेड़ को
सबसे पहले कटना है
सबसे छोटे कीड़े को
सबसे पहले कुचलना है
क्यों सबसे कोमल मन को
जीवन की आग में उबलना है
क्यों सबसे पावन धन को
आंसू के नद में बहना है
क्यों लाचार अर्जुन को
अभिमन्यु से हमेशा बिछड़ना है

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14 MAR 2019 AT 9:24

Motherland

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25 DEC 2021 AT 18:26

सफलता या हार, क्या बड़ा है सफर से?
केवल एक प्रहार क्या बड़ा है समर से ?
हर योद्धा की यही निशानी है
होता है वीर या वीरगति पानी है

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20 DEC 2021 AT 19:52

अगर जुगनू के मन में
रात से हारने के डर होता
अगर ईंट के किस्मत में
एक आसान सफर होता

तो क्या वो नाचीज़ अमर होता?

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14 NOV 2021 AT 15:35

समय की आरी में धार कम है।
गौर से देखना
हर रिश्ते को

धीरे धीरे काटता है।

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14 NOV 2021 AT 15:29

आजकल संस्थाओं से सम्मान प्राप्त करना और दुकान से ट्रॉफी खरीदकर लाने में बस फर्क इतना है कि

दुकानदार फोटो नहीं खींचता है।

#व्यंग्य

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