बहा के आँसू... गम को पी जाती हूँ...
कुछ ऐसे ही जिंदगी के दर्द सह जाती हूँ.. ll-
अजीब दौराहे पर खड़ी है जिंदगी....
मोहब्बत है कि भुलाये भूल नहीं पा रही...
और रिश्तों में बेवफ़ाई फिदरत में नहीं... ll-
सजा ए जिंदगी भी बेमिसाल मिली....
घर तो भरा है.... सब चीजों से...
फिर भी ... दिल खाली और आँखें गीली... ll-
कहानी अगर मुक़्क़मल न हो सके तो.....
एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ देना.... ll-
अब कौनसे मौसम में उम्मीद लगाए....
जब बारिश में भी हम उन्हें याद न आए.... ll-
सच...
उनसे मोहब्बत कमाल की होती है...
जिनका मिलना मुक्क़दर में नहीं होता.. ll-
कैसी बारिशें है ना ये.... इनमें
किसी के मिलने की खुशी से ज्यादा....
किसी के बिछड़ने का गम सताता है... ll-
थोड़ा सा बरस के बादल....
धरती की बेचैनियाँ बढ़ा जाता है....
अधूरे इश्क़ की क़सक भी कुछ वैसी ही..
बेचैनियाँ दे जाती है... ll-
काश ! मिल जाये कोई अनजान परिंदा भी....
सारे गम बता दूं उसे.... न मैं उसे पहचानु और न वो मुझे..... ll-