Jaspal Virdi   (JaspalVirdi)
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Joined 10 November 2016


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Joined 10 November 2016
3 NOV 2021 AT 19:01

In all universes
and worlds divine
Where stars are born,
moons shine.
I want a place
to make it a paradise
A place where I'm yours
and you're mine.

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21 JAN 2019 AT 3:23

Ink boiled,
when I wrote
your name.

-


27 OCT 2021 AT 22:15

Beyond the darkness,
in the search of light,
I found her
in a place so quiet.
To my every wrong,
she's the right.
I asked her to stay
by my side.
She held my hand
and just smiled.
Through her eyes I saw,
her soul divine.
I kissed her and said,
'be mine. '
She came closer, sighed
and whispered life.

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28 SEP 2021 AT 13:35

किसी और से ना सही, तिरंगे से सीख लो
भगवे और हरे के बीच मे सफ़ेद ज़रूरी है

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3 SEP 2021 AT 20:39

मेरे भाव कोई भेद न जाने
संतरी या हरा मेरा रंग नही
अगर नफ़रत मज़हब है तेरा
तो फिर, मैं काफ़िर सही

पढ़कर वेद, ग्रंथ, किताबें आसमानी
कोई भी लगा सही नही
औरत को पर्दा सब धर्म सिखायें
वो गलत, तुम कैसे सही?

जहाँ जाए पढ़ाई, सियासत, लड़ाई
उस जमात मे दाखिल नही
बातें विश्वास की बकवास हैं सारी
ऊपर कोई बैठा नही

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21 AUG 2021 AT 13:43

Has your wait been ended
or you quit waiting?
Are you finally happy
or started faking?
How much are you broken
in attempts of making?
I see unhealed wound
and I know it's aching.

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30 JUL 2021 AT 10:46

तेरे साथ इतना देखा है लोगों ने मुझे
अब अकेला देख मुझे पहचानते नही

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9 JUL 2021 AT 0:30

जहाँ देखो है जंग छिड़ी
हथियारों की, विचारों की
बिल्कुल भी अब बनती नही
मंदिर से मज़ारों की
शोर मचा, कई मदद को आये
पर दुविधा मन मे पहाड़ों सी
कोई आकर तस्वीर तो खींचे
एहसान करते मददगारों की
महामारी मे उजड़े हैं जो
उन घरों की दीवारों की
फुर्सत मिले तो सुन भी लेना
चीखें बेसहारों की
खुराफ़ातों मे सोच लगी है
समाज के ठेकेदारों की
कैसे काटें पंख नारी के
दुहाई दे कर संस्कारो की
भक्तों की तो बंद हैं आँखे
बातें समझो इशारों की
छीन ले कोई कुर्सी अब तो
अनपढ़ और ग़वारों की
आँखों देखा भी है झूठा
न मानो समाचारों की
बिक जाते हैं अगर हो अच्छी
कीमत पत्रकारों की

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12 MAY 2021 AT 2:33

कोना कोना छाना, नामोनिशां ना मिला
ऐसी जगह गिरे हो तुम नज़रों मे हमारी

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7 MAY 2021 AT 13:24

इतना वाक़िफ़ हो गया हूँ
दुनियावी रीवाज़ों से
आँखें बंद कर लूँ
फिर भी सब दिखता है
पहले सिर्फ बिकती थी
हवस बाज़ारों मे
फिर बिकने लगी मोहब्बत
अब खुदा बिकता है
चारों तरफ दिखावा
किरदार बनते बिगड़ते ओनलाईन
ज़रूरी नही वो इंसान ही हो
जो अच्छा इंसान दिखता है
क्यूँ कटते हैं फूल लाखों
दो पल की खुशी की खातिर
जब फूल बनावटी असली से
ज्यादा महकता है
लाख दलीलें दे दो
फर्क क्या ही पड़ता है
वही सच्चा बहस मे
जो ज्यादा चीखता है
हर कोई अभिनेता
किस पर करें भरोसा
असल मे होता है पानी
जो आँसू दिखता है

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