समान और सम्मान
मां, बहन, बेटी का रूप है वो,
सूरज की चमकती धूप है वो,
क्यों अलग है उसका आसमान,
रब ने है बनाया सब एक समान|
हाथ अब उसकी ओर बढ़ाते हैं,
मिलजुल कर दूरी को मिटाते हैं,
उसे भी हो सब समान अधिकार,
करें वो अपने सारे सपने साकार|
कंधे से कंधा मिलाकर जब चलेगी,
हर पग कामयाबी हमें तब मिलेगी,
घर, देश,संसार सबकी होगी उन्नति,
पल-पल कदम चूमेगी हमारे प्रगति।
-Kavineeta
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लिख लेती हूं कभी कभी,
पढ़कर अपने मन की आवाज़,
पहुंचा देती... read more
समान और सम्मान
मां, बहन, बेटी का रूप है वो,
सूरज की चमकती धूप है वो,
क्यों अलग है उसका आसमान,
रब ने है बनाया सब एक समान|
हाथ अब उसकी ओर बढ़ाते हैं,
मिलजुल कर दूरी को मिटाते हैं,
उसे भी हो सब समान अधिकार,
करें वो अपने सारे सपने साकार|
कंधे से कंधा मिलाकर जब चलेगी,
हर पग कामयाबी हमें तब मिलेगी,
घर,देश,संसार सबकी होगी उन्नति,
पल-पल कदम चूमेगी हमारे प्रगति।
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दिल हो जाता है बेलगाम, कभी कभी,
पर वो समझेंगे के नहीं,यह ख्याल रोक देता है,
मन से आया है एक पैगाम,अभी अभी,
पर वो पढ़ेंगे के नहीं, यह सवाल टोक देता है।
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आज भी बातें पढ़ कर मेरी ,मुस्कुराते तो होगे तुम,
देदो मेरा आशिक वापिस,जो कही हो गया है गुम।
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मेरी ज़िंदगी में घुली हुई है,
चाहत मेरे यार की,
मेरी बंदगी में मिली हुई है।-
तुम कभी थे ही नहीं, मेरी ज़िंदगी में जैसे,
याद तुम्हे रखे भी हम कैसे,
तुमने दिया ही क्या है,शर्मिंदगी के सिवा वैसे।
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अपना आकर तुम पता ज़रा,
हम भी तो तुम्हारे घर आ कर देखे,
कितना है तुम्हारा प्यार खरा ।-
तभी तो जो छूट गया वो,आज भी खलता है,
बस इंतजार उस पल का है,
कभी तो आएगा वो, इंतहा उस कल का है।
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कभी वो कुछ बताते थे, कभी हम,
कभी वो मुस्कुराते थे, कभी हम,
अब कभी वो चुप हो जाते है, कभी हम,
अब कभी वो कुछ छुपाते है, कभी हम,
जिस रिश्ते पर था इतना गरुर,जाने कहां है अब वो सरूर,
जाने कहां है वो नूर , जो पास होकर भी है हम इतने दूर।
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