" उसकी चाहत के लिए कब खुद को खो दिया मैंने,
पता ही नहीं।
उसकी चाहत के लिए कब खुद को उसके जैसा बना लिया मैंने,
पता ही नहीं।
उसकी चाहत के लिए कब खुद को दुनिया की नजरों में गिरा लिया मैंने,
पता ही नहीं।
उसकी चाहत के लिए कब खुद को चाहना छोड़ दिया मैंने,
पता ही नहीं।
उसकी चाहत के लिए कब अपनी ख्वाहिशों को दफना दिया मैंने,
पता ही नहीं।
उसकी चाहत के लिए कब अपनी ही कब्र को सजा लिया मैंने,
पता ही नहीं।"
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