jaresh william   (महशर)
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Joined 28 April 2020


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30 APR 2022 AT 23:43

फलक यूँ ही नहीं नैराश्य हुआ है
म्रगांक यूँ ही नहीं ओझल हुआ है
वारीश का शोर भी आज ख़ामोश हुआ है
उसे पता था मुझे तुमसे इश्क़ हुआ है ॥

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24 FEB 2022 AT 23:26

ज़िंदगी सब्र के दरिया में बहा दी हमने ,
और लोग हमें बेताब कहते हैं ॥

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17 FEB 2022 AT 0:03

The similarity between LIFE and WHATSAPP is -
People start judging you,
By your
STATUS.❤️

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15 JAN 2022 AT 0:18

खुद की सोच में ज़बरदस्त
खिलाड़ी थे हम ,
किसी की कहानी में
फ़िज़ूल सा किरदार थे हम ॥

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2 DEC 2021 AT 9:11

तुम हँसती रहना हम देखते रहेंगे
तिल तिल यूँ ही जान देते रहेंगे
तुम status देख के क्या हुआ ? क्या हुआ? करती रहना
हम कुछ नही !कुछ नही ! कहते रहेंगे॥

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24 NOV 2021 AT 16:50

When you are in a
stage where it hurts a lot.
Let it hurt..we can't
do anything when it's
hurt but atleast we
can put a limit to it.
Hurt leads to depression
but patience leads to peace.
Don't depressed yourself
Because there will be
a day when it will not
hurt anymore.
Dear.... You can handle
yourself.
You can deal with your
emotions.
❤️

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19 NOV 2021 AT 16:29

“TUNGSTEN” from outside,
“MERCURY” from inside.

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18 NOV 2021 AT 23:02

मुस्कुराता हूँ हर बात पे , दुःख से रिश्ते अच्छे से निभाता हूँ
पर हूँ तो इंसान ही , कभी कभी टूट भी ज़ाया करता हूँ ॥

करता हूँ कोशिश जग ज़ाहिर कुछ ना करूँ कभी
पर हूँ तो इंसान ही , कभी कभी कह भी ज़ाया करता हूँ॥

जो लायक़ नहीं समेटने के , उन मसलो को पिरोया करता हूँ
पर हूँ तो इंसान ही , कभी कभी खुद बिखर ज़ाया करता हूँ ॥

कुछ सवालों के जवाब नहीं होते , उन सवालों से ही उलझा करता हूँ
पर हूँ तो इंसान ही , कभी कभी सवालों से हार भी ज़ाया करता हूँ ॥

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24 AUG 2021 AT 20:58

हुआ सवेरा फिर से जगमग
पर कहानी रात की सुनानी है...

बेदम बेज़ार पड़ा तख़्त पे
बस प्राण निकलना बाक़ी है
हुए जो घाव अंग अंग में
उनकी चीखे अभी ताजी हैं
बस यही सोच में पड़ा था महशर
कब तक ज़िंदगी चलानी है.........

दावा दारू सब हुए बे असर
शायद अब दुआ की बारी है
कहते थे जो हम साथ है तेरे
उनकी कहाँ कोई निशानी है
बस यही सोच में पड़ा था महशर
कब तक ज़िंदगी चलानी है ......

जिस मुख से चहका करते थे हम
अब उसी से रक्त निकलना जारी है
आँखो से देखे थे जो सपने
उन्ही से रोने की अब बारी है
बस यही सोच में पड़ा था महशर
कब तक ज़िंदगी चलानी है ......

सोचा कई बार की खतम करले
जीवन की जो ये गाड़ी है
पर उम्मीद अभी एक बची थी
जिसकी रचना , दुनिया ये सारी है
अब बस यही विश्वास किया महशर ने
दुबारा ज़िंदगी बचानी है।।


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18 JUN 2021 AT 19:17

आइना टूटा ज़िंदगी का
हिस्से सारे चुभने लगे ,
ज़हर दिया किसी एक ने ,
ज़हरीले सभी लगने लगे ।

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