janvi thapa   (जान्वी♾🌸)
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लेखिका💫
Joined 6 November 2019


लेखिका💫
Joined 6 November 2019
6 MAR 2023 AT 23:22

कुछ उधर चुकाए.. चुकते नहीं हैं
कुछ खामोशियां बोल सुनाई देती नहीं हैं
चलो किसी रोज़ गर सुनाने का मन करे
तो चले आना;
हम अभी भी कहीं दूर निकले नहीं हैं।।

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1 JUN 2021 AT 19:07

कितना ही, कुछ भी क्यों ना कर ले
एक ना एक शख्स रह ही जाता है,
जिसके सामने हम गलत होते हैं।
निरंतर प्रयास के बाद भी..
व कुछ नहीं करने के बाद भी||

बस हमेशा ये ध्यान रहे..
वो शख्स हमारे लिए,हम ही ना हों||💫

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1 JUN 2021 AT 18:58

ज्यादा कुछ नहीं..बस सुकून ही तो है||
जिसकी चाह है,
जिसको हर हद से गुजर कर पाना है
दायरे लांघने हैं, गलतियां करनी हैं..
बस सुकून ही तो है||

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17 APR 2021 AT 4:38

गौर से देखो अंत करीब है
नहीं नहीं मेरा नहीं..
तुम्हारा भी नहीं..
इस प्रेम का नहीं..इस घृणा का भी नहीं
अनगिनत बातों का नहीं..मूल का नहीं
क्रोधाग्नि का नहीं ..मोह का नहीं
बस हमारा अंत करीब है ..
वरना क्यों ही हम इस कदर रोज़ मिलते
हजारों बातें कर; फिर अजनबी बन
घर को लौट आते जैसे कुछ हुआ ही नहीं?
जैसे हम मिले ही नहीं..
या कभी मिले थे ही नहीं?🖤

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17 APR 2021 AT 4:25

अच्छा सुनो...
ये गलत क्या है??
मेरा पल पल मुस्कुराना या रोना
मेरा अपने फैसले खुद लेना या नहीं
बात बात पर बहस करना या चुप्पी सादना
बेवक्त सो जाना या जागते रहना
आसमां को निहारना या बंद रहना..
या सुनो
गलत है भी क्या कुछ..?
खैर अब ये बताओ.. सही क्या है?

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7 APR 2021 AT 9:49

बंद दरवाजों में कैद अब सामने भी आएगा
किरदार है मगर का..कुछ रिश्ते ही मिटाएगा
केवल मैं नहीं तुम भी देखना जरूर
कैसे सुहावने वादों को पल में आइना दिखाएगा।।..
मगर.. मैं तुमसे प्यार करता हूं, से..
मैं तुमसे प्यार तो करता हूं..मगर
तक का सफर हसीन लगता तो नहीं है
..किरदार है उसका मन को रजता तो नहीं है।।..
मगर.. जी लोगे तुम जानती हूं मैं..
जीना तो पड़ेगा जरूर..मगर......
जानते नहीं हो तुम||💔

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7 APR 2021 AT 9:30

मनुष्य जब हृदय की वेदना में कविता खोजने लगता है
कुछ राग.. कुछ सुर.. भावों का मेल सा देखने लगता है
तब जाकर कहीं उसमें पीड़ा के अंत की शुरुआत होती है||

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11 FEB 2021 AT 21:38

मुझे सच में कोई तुमसा ही चाहिए था||😚

निश्छल भाव से भरा प्रेम
कपट से कोसों दूर हर मिलन
मोह का अदृश्य सा बंधन
दूर जाने की सोचते..
और फिर करीब आ जाते ये कदम||
दुनिया की रीत को नकारते कुछ फैसले
कभी ना ख़त्म होती कुछ अनगिनत सी बातें||
कुछ रातों का सुबह..
कुछ सुबहों का रातों में बदल जाना........
न तुमसे कोई बेहतर, न तुमसा कोई और
बस तुम और तुम ही हर बार||...
मैं सच कहती हूं,
मुझे कोई तुमसा ही चाहिए था||❤️

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9 FEB 2021 AT 19:30

कि..
सिक्कों की खनक के पीछे छूटती, मैं
खोखली होती एक इमारत देख रही हूं..
गमगीन हो नाराज़ हो, मैं..
मेरे हिस्से का गम बांट रही हूं||

ओढ़कर चलो तुम खामोशी मेरी
मैं तुम्हारी नाराज़गी पारदर्शी रखूंगी..
तुम्हें पता चले सब कुछ मेरा
भूले भटके ..
हर बीतते पल तुम्हारा इंतज़ार करूंगी||🌸

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9 FEB 2021 AT 19:27

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बंद कमरों के उजाले हमसे कुछ खफा से हैं
बाहर के ये बंद से अंधेरे हमपे कुछ मेहरबां से हैं||

नज़्म पूरी नहीं होती की तलब उठ जाती है
तुमसे फिर मोहब्बत करने की जिद में अढ़ जाती है||

रास्ता नहीं, मंज़िल नहीं, कोई साहिल नहीं है
चुप्पी नहीं,सुनसानी नहीं, महसूस न करूं और..
सुकून ही नहीं है||
तुम नहीं , मैं नहीं
गौर करने लगूं और ये दुनिया ही नहीं है||🍁
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