Jannat Dilkhush   (@Jannat Dilkhush)
30 Followers · 66 Following

#yes_I_tRuSt_EvErYoNE!!!○○○{{}}♡♡😊
Joined 12 April 2017


#yes_I_tRuSt_EvErYoNE!!!○○○{{}}♡♡😊
Joined 12 April 2017
YESTERDAY AT 14:33

तेरी ख़ुशी के लिए हर जतन मैं करता रहा,
अपनी अना को दबाकर तेरा साथ निभाता रहा।

तूने देखा न कभी मेरे जज़्बात की गहराई,
बस मेरी ख़ता ढूँढती रही, मैं आँसू बहाता रहा।

तेरे लफ़्ज़ों ने छोड़े दिल पर गहरे ज़ख़्म,
और मैं सबर की चादर ओढ़े तेरा नाम गुनगुनाता रहा।

कभी तो समझ ले मेरी मोहब्बत की तड़प,
वरना यूँ ही तेरे साये में मैं टूटता जाता रहा।

-


2 JUL AT 14:29

बिन बोले समझ जाऊँ सब की बातें
मैं क्या भगवान हूँ
हाँ नहीं समझ पाता हूँ कुछ भी बिन कहे
सायद मैं यही इंसान हूँ
उम्मींद क्यु करना मुझसे की
मैं सबकुछ समझ लूँगा बिना जाने
जब पता है मैं कैसा हूँ
क्या मतलब इतने रिस्तों का जो
अबतक न मुझे पहचाने

-


22 AUG 2024 AT 0:39

If the moon could speak
What it feels to be alone
He would explain
He would cry to express
Aloud as much as he can
He would tell being beautiful is not enough
He would show not having
But holding something is tough
He would like to laugh, talk, cry and smile
He would have something atleast for a while

-


22 AUG 2024 AT 0:30

I know you are with me everytime
I trust you
I believe with you every thing will be fine

-


16 AUG 2024 AT 8:51

खुद को ख़ुद के अन्दर साबित करना,
घुटन भरी प्याला पी के ऊपर मुस्कुराना ।
दर्द के मिठास को अब आत्मसाध कर लेना,
हकिकत पता है काटों पे लहू बहेगी
फिर भी बहा के खुद को बर्बाद कर लेना ।
सोचता हूं कभी मैं भी गुलिस्तां था
देखता हूं की बस शमशान अब रहा है,
कुछ नहीं तो कुछ नहीं
इसे समझना आसान कब रहा है ।

-


7 AUG 2024 AT 15:22

मेरी नम आंखों पे अपनी हथेली सब सेकेगा
दर्द चाहे कितनी भी हो भीतर
कोई नही देखेगा।।
तुम अपनी तिरस्कार का बदला लेना,
जब जी भर जाए
आत्म तृप्ति आ जाए
हमको बतला देना।।
मेरे अन्दर के खोह को सब कुरेदेगा
काम नही आया तो अपना भी फेकेगा
दर्द चाहे कितनी भी हो भीतर
कोई नही देखेगा।।

-


22 JUL 2024 AT 11:35

मेरे सभी कार्य
मेरा धर्म मेरा कर्तव्य बनता गया
तुम्हारी सभी
एहसान मेहरबानी में तब्दील हो गई
मेरी गलतियां बदमाशियां
उम्र भर का ताना बनता गया
तुम्हारी सभी
प्यार के निशानी में तब्दील हो गई

-


26 JUN 2024 AT 21:53

अरमां दुआ ख्वाइश खूसी उम्मीद बन के आते हैं सब
पत्ता पत्ता उक्त के तकाजों मे टूटता है हर दिन
खुद मजबूर सबसे दूर उम्र के साथ कटती है
जिन्दगी एक एक दिन गिन गिन

-


23 APR 2024 AT 9:58

सुकून शांति न सौर न होड़
पीछे शाम आगे भोर
सब कुछ एक ही दिखता
आसमां में चांद भी दिखता छुपता
सोचा अंधेरे को जान लूं क्या
कलमों से कुछ कह दूं क्या
झांकते ही डर गया
पूरा बदन सिहर गया
अनगिनत सौर असीम तन्हाई
इतनी राज़ खोफ सी रुसवाई
अंधेरे में थे छुपे कितने सच कितने झूठ
कितने दर्द कितने गम
और
रात को लिखने चले थे हम !!

-


23 APR 2024 AT 9:38

You won't feel
deeped into
the boiling water
like a
tea bag..!

-


Fetching Jannat Dilkhush Quotes