jane Alam   (Janealam (Sachchi jaban))
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Joined 20 May 2020


Joined 20 May 2020
31 AUG 2022 AT 12:46

दिल मेरा आज अलबेला है
चारों तरफ तनहाई का ही पहरा है

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1 JUL 2022 AT 21:11

मुद्दतें हो गई कम से कम तो बात तो कर
इश्क मैं बीमार हूं कम से कम दवा तो कर
जो देखे हैं वह आ जाता है तेरे आशियाने में
तू अपना आशियाने का पता तो बदल कर

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29 JUN 2022 AT 20:39

के मैं अभी भी तेरे दर का मुसाफिर हूं
तेरे दीदारके लिए मैं अभी भी चौखट पर हूं

बस एक बार अपनी नजरों से पिला दे
फिर मैं अपनी जिंदगी में मुकम्मल हूं

जब मैंने अपना नाम तेरे नाम से जोड़ लिया
जमाना क्यों जलता है मैं तो तेरा परवाना हूं

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27 JUN 2022 AT 16:08

यह केवल शब्द नहीं है यह मेरी कहानी है
जो माझी मैं बीती है मेरी गलती की जवानी है
मोहब्बत की थी हमने भी उससे और उसने तर्क लहजे में आकर अल्फाजों का तीर चला दिया और मोहब्बत का किस्सा उसने यहीं खत्म किया शब्द नहीं है यह मेरी कहानी और यह मोहब्बत की दास्तां अब सबको सुनानी है जिंदगी की तमन्ना तो नहीं थी पर अब जिंदगी की नई शुरुआत उसे करके दिखानी है मोहब्बत तो साथ निभाने वालों की निवृत्ति है अब उसे यह मिसाल कायम करके दिखानी है यह केवल शब्द नहीं है यह मेरी कहानी और बहुत दर्द है इसमें कई रातें मैंने रो-रोकर अंधेरी चादरों में काटती है अपने घर को पिंजरा बना कर तनहाई को मैंने साथ ही ले लिया था और हर वक्त उसकी यादों में डूबा हुआ ऐसा मैंने वह जोग ले लिया था.....

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27 JUN 2022 AT 15:42

ए मुकद्दर बता तूने मुझे क्या दिया
खुद से मुझे जुदा क्यों ना किया
दर्द-दुख तनहाई बहुत दिए मुझे लेकिन
ए खुदा अच्छा मुकद्दर क्यों नहीं दिया
मुफलिसी में भी दर-ब-दर भटकता रहा हूं
मुझे एहतीयाज़ मैं भी काम क्यों नहीं दिया

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26 JUN 2022 AT 11:56

के मैंने किसी से मुख्तार नहीं मांगी
परसारी उम्र मैंने चारदीवारी मेंभी नहीं मांगी

अंधेरा अभी भी मेरा पीछा करता है
उसके सिवा किसी से मदद नहीं मांगी

अपना दिलनिकाल कर इश्ककेबाजार मेंरख दिया
मैंने अपने दिल की कीमत किसी से नहीं मांगी

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25 JUN 2022 AT 13:24

अंधेरे कमरे में चिराग
रोशन हो रहा हो जैसा

उस पीकर मैं जमाना
भूल ता जाता हूं

किसी की याद में
खो रहा हूं जैसे

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24 JUN 2022 AT 15:39

तेरी गलियों से गुजर कर एक नया शहर आया है
जीना मुश्किल था एक शख्स ने जीना सिखाया है

के मैं तो अपना सब कुछ पीछे छोड़ के आया था
मुझे क्या पता तेरा साया मेरे पीछे-2साथ आया है

तनहाई में इस आशियाने में जब मैंने रखे थे कदम
तो हमसाया ने ही मेरा साथ हर - दम निभाया है


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23 JUN 2022 AT 22:58

हमें छोड़ कर जब तुम चले जाओगे
के हम इस दिल को कहा रख पाएंगे

दिलके इस कमरे में अंधेरा तो हो गया
अब हम इसमें कैसे दीया जलाएंगे

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23 JUN 2022 AT 12:18

वो तो मेरा मुत्तफ़िक का आईना था
और कर बैठा हूं कितना प्यार उससे
पर वो तो फना होने का एक बहाना था

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