आप से बेहतर भला कौन जानता है हमें ..
एक ही नज़र में कौन पेहचानता हैं हमें !!
झूठ मूठ अयाँ किया नहीं सरोकार तुमसे ..
सच्च बोलने पर भी कौन मानता हैं हमें !!
तन्हाई दे कर रिहा किया ज़ंज़ीर ए इश्क़ से.
अब अहद-ए-वफ़ा से कौन बाँधता हैं हमें !!
ख़ुदाया तेरे सिवा कौन ख़बर लेता हमारी ..
होते होते इल्म हुआ कौन संभालता हैं हमें !!
इंतेज़ार की हद हैं या वहम ओ गुमाँ जमील ..
मेहसूस होता हैं जैसे कोई पुकारता हैं हमें !!
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