ذہن و دل پر دشمنوں کا خوف مت طاری رکھو
موت کی بستی میں بھی جینے کی تیاری رکھو
ज़हन ओ दिल पर दुश्मनों का ख़ौफ़ मत तारी रखो
मौत की बस्ती में भी जीने की तैयारी रखो-
تیرگی لاکھ ہے راہوں میں مگر پھر بھی جمال
ہم چراغوں کی غلامی تو نہیں کر سکتے
तीरगी लाख है राहों में मगर फिर भी जमाल
हम चराग़ों की ग़ुलामी तो नहीं कर सकते
-
تم اگر مشکلوں سے ہار گئے
راستے راستہ نہیں دینگے
तुम अगर मुश्किलों से हार गए
रास्ते रास्ता नहीं देंगे-
کچھ آہیں کچھ آنسو اور کچھ بے چینی
اس نے مجھکو پیار کی دی ہے پہلی قسط
कुछ आहें कुछ आंसू और कुछ बेचैनी
इसने मुझको प्यार की दी है पहली क़िस्त-
میں ہوں اور پاس مرے بس غمِ تنہائی ہے
جانے کیوں میں نے بھی جینے کی قسم کھائی ہے
मैं हूँ और पास मेरे बस ग़म ए तन्हाई है
जाने क्यों मैंने भी जीने की क़सम खाई है-
ہم سے جاں سوز یہ منظر نہیں دیکھے جاتے
دستِ قاتل میں کٹے سر نہیں دیکھے جاتے
हमसे जां सोज़ ये मंज़र नहीं देखे जाते
दस्त ए क़ातिल में कटे सर नहीं देखे जाते-
خود تو کانوں میں مرے چیخ رہی ہے دنیا
میری آواز دبانے پہ تلی ہے دنیا
ख़ुद तो कानों में मेरे चीख़ रही है दुनिया
मेरी आवाज़ दबाने पे तुली है दुनिया
-
اس قدر پر فریب دنیا میں
یار جینا کوئی مذاق ہے کیا
इस क़दर पुर फ़रेब दुनिया में
यार जीना कोई मज़ाक़ है क्या-
ڈوبتے وقت مجھے کون سہارا دیتا
بہہ گئے موجِ حوادث میں تماشائی تک
डूबते वक़्त मुझे कौन सहारा देता
बह गए मौज ए हवादिस में तमाशाई तक-
جو نہ کھل پایا کبھی اس راز سے رشتہ رہا
عمر بھر میرا کسی آواز سے رشتہ رہا
जो ना खुल पाया कभी उस राज़ से रिश्ता रहा
उम्र भर मेरा किसी आवाज़ से रिश्ता रहा-