रास्तों में खोई सी
मुहब्बत मेरी
ये अजीब सी दास्तां सुनाती हैं
खामोशियां गवाही देते हैं
जुबान फिर भी लड़खड़ा जाते हैं
सूनेपन में भी सफर है मुहब्बत मेरी
रास्ते बयां करते है दास्तां मेरी
उसके न होने में भी
होने जैसी एक परछाई है
वक्त तालीम देता
फिर भी सब्र की खाई हैं
उसके बिन जीना एक अलग सी ही कठिनाई हैं
न वक्त साथ है
न कोई रिहाई हैं
बस इन रास्तों में खोई सी
मुहब्बत मेरी
अजीब दास्तां सुनाती हैं।।— % &-
इश्क़ की कहानी है
ना तुमने कभी जानी है
ना मैंने कभी सुनानी है!
संध्या पाश अपने साथ
जन्म देती हैं
कुछ मृतक कहानियां
जिनकी आत्मा में अभी भी कुछ जान शेष हैं।
संध्या पाश शरण देती है
उन मृतक कहानियों को
जो जिह्वा पे आकर कही अटक गई थीं।
वही कहानियां जो
अनसुनी और अनकही हैं!
जिन्हे सुनने की न चेष्टा थीं
और न ही हृदय में कुछ अवशेष!!-
अक्सर स्वभाव से
सरल मनुष्य ही
फंस जाते हैं
गन्दी बेड़ियों के बीच
बस वो फसते ही जाते हैं
बन जाता है उनका स्वभाव ही
अभिशाप उनके लिए
न वो खुद को निकाल पाते है
न ही खुद के डूबते अस्तित्व को वो बचा पाते है
होते जाते है
अपनी ही अच्छाई से वो शिकार!-
मन के गहरे सन्नाटे
दिल को रौंदते हुए
आंखो को कुछ इस कदर
नम करते हैं
जैसे उसके जुबान से
इश्क की कोई नाम आईं ही न थीं
वो कहानी कभी घटित ही न हुई थी
वो एक रहस्य सा था
वो मन की कल्पनाओं सा इश्क मेरा
मुझे छुभ छूभ के पुकार रहा
नाम उसका भी है कही
इश्क मेरा
है आज भी वहीं!
दिल के दरमियान
रूह तलक
एक इंतजार
उसका ही हैं!!-
मेरे इश्क की
मेरी कहानी में
किरदार वो सच्चा रहा
टूटा वो भी
कभी कुछ इस क़दर
पर प्यार मेरा वो सच्चा रहा
मेरे बेरंग से
बहकी दुनिया में
यार वो अच्छा रहा
कहके भी
कही खो जाता है
अपनी बेजुबानी में
राग वो कच्चा रहा
मंजिल उसकी की थी अलग
राही मगर वो
आज भी बच्चा रहा
खुद को कह दे
कोई ज्ञानी वो
अपनी ही धुन में वो
कुछ तो बेहकता रहा
कुछ तो है वो
उसका भी कोई वजूद कही
प्यार मेरा वो सच्चा रहा..!-
तुम तुम हो
और अगर तुम्हें तुम्हारे होने का प्रमाण
हर दफा देना पड़ रहा हो
निकल पड़ो
ये रास्ते , ये मंजिले
तुम्हारी नहीं
सिर्फ यह तुम्हे निचला सकती है
तुम्हारे अस्तित्व को कुचला सकती है
रुको नहीं , तुम निकल पड़ो
दूर को
कही दूर को
तुम्हारे स्वप्न जो तुमने कबके पिरोए है
अपने इन नन्हे आंखो में
कबके प्रतिक्षा में
है ये तुम्हारे
अपनी मंजिलो को पहचान
आगे बढ़ो
अपने पथ पर
तुम रुकने के लिए नहीं
बस चलते रहने के लिए बने हों
और हां
वो पथ तुम्हारा नही
ना ही वो मंजिल है
जो बार बार तुम्हे तुम्हारे होने का
प्रमाण मांग रही।।-
रात के दामन मे
लिपटे कुछ अनकहे से ख़्वाब
मानो यू दस्तक दे रहें
जैसे सदियों से
छुपी कोई कहानी का वो मंजर
जो कहीं गुनगुनाया ही न गया हो
वो बाते जो
कही बताई ही न गई हो
रात के दामन मे
तकिए में आज भी
आंसुओ से पड़ी वो सीलन
दूर कही न जाने गूंजती किसी की आवाज हैं
कुछ बारे उनके भी होगा
जो सब जानकर भी अनजान हो
जो भीड़ में भी हैरान हो
रात के दामन मे
छिपी वो आंखे
जो नींद की तलब में हो!!
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ये रूह के रिश्ते
किसी भी साथ या मिलन के मोहताज नहीं होते
क्या हुआ जो बातें जुबान से न हो
दिल फिर भी
दिल ही दिल में सारी बाते कह ही जाता है
किसी जिस्म
किसी छुअन
किसी भी किस्से के मोहताज नही होते
दूर होकर भी हर वक्त पास होते है
न होते हुए भी ये रिश्ते
बड़े गहरे होते हैं।-