मैं आती रहूँगी, यूँही ज़हन में तुम्हारे
कभी यादों के पिटारे से एक किस्सा बन,
कभी ख्वाबों के तुम्हारे एक हिस्सा बन,
कभी भूले हुए इक नाम सा
कभी हौंसला इक नाकाम सा
कभी कुरेदे हुए ज़ख्म सी
कभी उस ज़ख्म पे मरहम सी
तुम्हे अपनी याद दिलाती रहूंगी
हाँ मैं आती रहूँगी...
कभी किसी कहानी के किरदार में
कभी ना ख़त्म होने वाले इंतज़ार में
कभी किसी डायरी के सहेजे फूल सी
कभी नादानी मे हुई इक भूल सी
कभी किसी अनजाने चेहरे मे
कभी बंद आँखो के अंधेरे मे
तुम्हे अपनी झलक दिखाती रहूँगी
हां मै आती रहूँगी...
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हर कलाकार एक खोज मे
अपनी ही मौज में
ख़्वाबों-ख्वाहिशों से भरा
कुछ अल्हड़, कुछ मनमौजी ज़रा
सही-गलत के परे
बस मन की ही करे
अनोखी सी दुनिया उसकी
अजब-गजब सी बाते
दर्द और खुशी के रंग चुन
जिंदगी की तस्वीर बनाते
कभी गुदगुदाते-हँसाते
कभी आँखे नम कर जाते
कभी देते सबक, कभी आइना दिखाते
पानी सा जीवन इनका हर किरदार मे ढल जाते...
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तेरे इंतज़ार में रही, इस उम्मीद के साये
गोल है दुनिया, तू कहीं तो टकराये
हर याद को तेरी सीने से लगाए
उस आखिरी नज़र को दिल मे बसाए...
आसां तो नहीं था तुझे अलविदा कहना
तेरे बिना तेरी ही यूं बनके रहना
पर तू खुश, तो मुझे भी सुकून
तेरी ख़ामोशियो से बेहतर है ये दर्द सहना...
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एक गाड़ी के दो पहिये हम
साथ ही हमें चलना है
एक भी रुका अगर
साथ ही थमना है...
ख़ामोशी चुने या शब्द बुने
थामे रहे एक दूजे का हाथ
शब्द समझे, ख़ामोशी सुने
बना रहे एक दूजे का साथ...-
नींदे बेच सपने कमाए
बंद आँखों से जो सजाए
आँख खुली तो पाया
जिनके लिए घरोंदे बनाए
वे पंछी तो निकले पराये-
असंख्य भीड़
पर तन्हा सफ़र हैं
परायी पीढ़
किसे ख़बर हैं
टूटे नीड़
रूठे शजर है
टूटी रीढ़
किसे कदर है
अर्थ क्षीण
हर शब्द बेअसर है...
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कोई आपके बारे में क्या सोचता है
इससे फर्क़ नहीं पड़ता
आप अपने बारे में क्या सोचते है
ये मायने रखता है...-
ख़ामोशियों को ज़बाँ दूँ
राज़े-दिल अब बता दूँ
या छोड़ दूँ हालात पे
और ख़ामोशियों से जता दूँ...
तू सुनकर समझेगा
या कहेगा सब वहम है
मैं कहकर उलझूँगी
तो छोड़ व्यर्थ ही ये अहम है...
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