ख्वाहिशें जो रह गई अधूरी फिर कहाँ वो मुक़म्मल हुई.....
बचपन की वो मौज वाली ज़िंदगी अब जिम्मेदारियों के बोझ तले जाने कहाँ गुम हो गई........-
24 SEP 2022 AT 19:12
19 AUG 2022 AT 19:30
खामोशी को हमारी बेबसी मत समझना
क्योंकि समुद्र मे जब सुनामी आती है
तो हर तरफ बस त्राहि-त्राहि सुनाई देती है
😎-
15 JAN 2022 AT 11:00
बाँटनी हैं तो खुशीयां बाँटों साहब.....
आँसू तो आजकल हर कोई मुफ्त मे दे जाता हैं......!!-
27 AUG 2019 AT 14:08
असलियत किसी की पहचान ना आयेगी जब तक लोग ओढ़े है अपनेपन का नकाब
होगी जब गिरे वक्त की तपिश तो खुद ब खुद हटने लगेंगे सारे हिजाब-
27 AUG 2019 AT 11:47
इश्क़ का यह किस्सा बड़ा मशहूर है
इससे जख्मी हर इंसान शायरी करने में मसरूफ़ है-