Jainendra Barve   (Jainendra)
71 Followers · 83 Following

Joined 2 January 2018


Joined 2 January 2018
22 HOURS AGO

कब तलक बोलो ज़रा,
काँटों तुम्हारा यह रुख रहेगा?
कष्ट देने दूसरों को, ना,
कब तुम्हारा मन कहेगा?

पुष्प जैसी कोमल त्वचा,
क्या कभी तुम पर सजेगी?
भेदने की प्रवृति तुम्हारी,
क्या कभी मन से हटेगी।।

-


22 HOURS AGO

तीरगी कब तक रहे,
अकेले मेरे सीने में।
कि उदासी का अंधेरा,
तेरे दिल में भी बसे।।

मेरे कलेजे के चरागों को,
हवा देकर बुझाने वाले।
प्यार का दिया भी आखिर,
क्यूँ तेरे अब दिल में जले।।

-


YESTERDAY AT 0:25

काश होता पत्थर की,
मूरत मैं कोई।
शांत रहता,
दर्द ना होता कोई।

फिर भले कोई,
हज़ारों चोट मारे।
अपनों का दुर्व्यवहार,
देख दिल कभी न हारे।

ज़बाँ जो ख़ामोश है,
तब भी वो रहती शांत ही।
किन्तु ये आँखें तो न होती,
दुष्टता का चरम ऐसा,
जो कभी ना देख पाती।

-


14 APR AT 1:06

खुद के गुरु तुम स्वयं ही हो.
प्रेरक भी खुद के हाँ तुम ही हो..

मन की शंका कोई हर ले.
पथ प्रदर्शन कोई कर ले..

ऐसा कभी संभव नहीं है.
सत्य सच में हाँ यही है..

-


1 APR AT 6:01

कांच का टुकड़ा सही,
हीरा नहीं चल मानता हूँ.
पर कुछ तो मोल होगा मेरा भी,
प्यार के बाज़ार में..

-


30 MAR AT 19:09

किस बात का तू बोझ लेकर,
चल रहा संसार में.
सब कुछ उसी पर छोड़ दे,
सर्वस्व जो ब्रम्हांड में..

कुछ नहीं तू लाया था,
कुछ न लेकर जाएगा.
सब कुछ धरा का धरा पर,
धरा ही रह जाएगा..

-


18 MAR AT 12:43

बन गई सड़कों पर,
चौकियां नई.
आ गए,
चुनाव हैं.

अब ईश्वर ज़मीं पर आएँगे.
अभी तक सो रहे थे,
मानो, आकर,
हमें जगाएंगे.

और कॉम भी,
खतरे में है.
खुदा भी, अब ही,
हमें बताएंगे.

सड़कों पर तो बनी हैं,
चौकियां प्रशासन की.
अब सरहदें दिलों में,
बन जाएंगी.

चुनाव की तैयारियां,
कुछ ऐसे की जाएंगी.

-


18 MAR AT 11:45

हर रोज़ नया कुछ,
सीखने की चाह रख.
हज़ार नहीं, सैकड़ों नहीं,
सीख याद, दो-चार रख.

रोज़ की ये नई सीखें,
आगे तुझे ले जाएंगी.
सफलता का मूलमन्त्र,
कानों में तेरे गुनगुनाएंगी.

-


5 FEB AT 9:33

यूँ तो बहार-ए-हुस्न में,
हम डूबा न किया करते थे.
पर आए हूज़ूर आप जो,
बहक गया हूँ मैं..

साहिल को पूछता हूँ,
दरिया कहाँ पे है...

-


1 JAN AT 7:44

लक्ष्य को निहारते,
बढ़ चलो प्रवाह में.
अवनि वक्ष स्थल पर,
अनंत आकाश में..

मार्ग में जो शूल हों,
तो हांथों में तू त्रिशूल धर.
बाधाओं का नाश कर,
राह में प्रकाश कर..

चुनौतियों को चूम कर,
रण में तुम डटे रहो.
छाती अपनी ठोक कर,
प्रहार झेलते रहो..

मंज़िल अवश्य ही फिर तुम,
प्राप्त कर जाओगे.
नए वर्ष में नया,
कीर्तिमान पाओगे....

-


Fetching Jainendra Barve Quotes