Jaı Kıshan   (Hell_soul_)
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Joined 3 April 2021


Joined 3 April 2021
10 SEP 2023 AT 23:43

भूल गए वो हमे.. दिल को.. ज़ख्मे दे कर...
चले गए गैरो संग.. दिल के टुकड़े कर कर...
रह गए अकेले हम.. यूंही.. वो दर्द सह कर...
पूछा कभी क्या हाल.. फिर न मुझसे पलटकर...।

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10 SEP 2023 AT 21:29

हर शाम.. एक जाम.. उनके नाम कर दिया...।
मोहब्बत को.. उसने.. भरी महफ़िल में.. बदनाम कर दिया...।
तोड़ के दिल को.. कई टुकड़ों में...।
दिलों का कत्लेआम.. सरेआम कर दिया...।

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21 JAN 2023 AT 23:44

तुझे चाहते चाहते... खुद से ही... नफरत करने लगा हूं...
जमाना क्या हंसेगा... खुद पे ही हंसने लगा हूं...
तेरी नादानी समझ कर... भूल जाऊं या याद रखूं...
इस कश्मकश में हर वक्त... अब खुद में ही घुटने लगा हूं...

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11 JAN 2023 AT 13:44

समझा रहा हूं दिल को... अब मौसम बदल चुका है...
तक़दीर के इस खेल में... वो खुद से बिछड़ रहा है...
दर्द के सिवा कुछ भी... न दिया उस मासूम को...
हर पल यही सोच कर... दिल खुद में ही घुट रहा है...

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10 JAN 2023 AT 21:14

तुझ से बिछड़ कर दिल की...
अब कोई कशिश न बाकी है...
यादों के भवर को.. दिल में लिए...
ये रातें हमने गुजारी है...
कतरा कतरा इन सांसों का...
अब चलना भी कुछ भारी है...
न रो पाता... न हस पाता...
ये कैसी किस्मत संवारी है...।

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4 JAN 2023 AT 19:21

मुझसे दूर जा रहे हो... तो बता के जाओ...
यूं नज़रे चुरा कर... अक्सर... बेवफ़ा गुजरते है...

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17 DEC 2022 AT 23:23

तुझे चाहते चाहते... खुद को भूल गया था मैं...
अहमियत खुद की... धीरे धीरे... खो दिया था मैं...
उसने पूछा की क्या... रह सकते हो बिना बात किए...
जागते रातों ने दम तोड़ दिया...बस एक झलक के लिए...
अब रह लूंगा बिन बात किए... ये वादे खुद से है किए...
बस हुई खत्म इक कहानी यही... जिसने बहुत दर्द है दिए...

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16 DEC 2022 AT 18:48

वो मुस्कुरा कर... मुझको रुलाने लगे...
हम मुस्कुरा कर... उनको भुलाने लगे...
लोग कहते है... चाहत किसी की नही...
इक सौदा दिलों का... जो बिकने चले...
गर पता है...की मंजिल मिलेगी नही...
फिर क्यूं ये सफर... साथ चलती रही...
उनकी बातों से तकलीफ़... होती तो क्या...
फर्क परता नही... हम जिए या मरे...
रास्ते है अलग... फिर भी मंजिल तू क्यू...
है सफर ये अनोखा... फिर रूठू मैं क्यू...
ये सफर है तेरा... न मैं हकदार हूं...
बस चलता समंदर में... इक पतवार हूं...


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9 DEC 2022 AT 17:20

बदल रहे मौसम के साथ... बदले उनके अंदाज है...
जीवन के इस मोड़ पर... छूटा अब उनका साज है...
अंजाम लिए आंखों में... चल परे ढूंढने... कुछ अल्फाज़ है...
जो मिल के भी न मुकम्मल हो... ये इक अनोखा इतिहास है...

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8 DEC 2022 AT 20:38

जो न समझ में आए... मैं ऐसी कहानी हूं...
गर समझ में ही... आ जाऊं... फिर मैं कैसी कहानी हूं...

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