Jai ..   (शांत_कलम)
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Joined 9 January 2022


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18 MAR AT 22:40

खूबियों की तलाश मे मै आपको माँग बैठा हू,
आप मेरे होने से रहे अब,
ऐसा लगता है मै खुदा को ही माँग बैठा हू।

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9 FEB AT 0:32

मै कैसा लड़का हू मुझे भी नही पता।🙂
(Caption)

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14 MAR 2023 AT 15:12

अब बस चुप्पियं साधेंगे हम,
उनको मेरे तरफ देखते ही,
नज़रे झुका लेंगे हम,
उन्हे देखकर अपने हसी से,
अपने पाले मे हर बार गिरा देंगे हम,
बेचैन होंगे वो नज़रे मिलने को,
मुस्कुरा कर नज़रे हटा जायेंगे हम,
होंगे उनके ही थोड़ा वक़्त ले,
ये भी उन्हें बता आयेंगे हम,

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11 JAN 2023 AT 20:25

उन्हे हस्ता देख मन मे हमारे,
चाहतों का बवंडर उभर उठा था ,
मगर वादा किया था हमने,
उन्हे हमेसा खुश रखने का,
और वादें ना टूट जाए,
कई रिश्तें टूटें थे हमारे,
फिर क्या!!
मन के बवंडर को सांत कर,
उनको खुश होता देख खुश होता रहा मै,

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10 JAN 2023 AT 20:31

‌मुझे अब समझ आया था,
मै कहाँ लादखडाय था,
बात ऐसी थी!!
मै वक़्त किसी और को,
कुछ ज्यादा ही दे आया था,
वक़्त की कीमत वक़्त ने,
हमे ठोकर दे समझाया था,

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6 NOV 2022 AT 22:31

Kafir se musafir tk ka safar uhn khtm hua,
Unke jawaab me abb emoji bhi dikhne lga,
Ignorance kam hua, text ka jawab samay se milne lga,
Ek tarfa mohabbat pe, do tarfe ka mohar uhn lga,

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2 NOV 2022 AT 22:13

Never!!
Moving on is just giving them their space for realizing the importance you had in their life.. 🙂

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30 OCT 2022 AT 19:43

Abb hasna hi chor chuka hu,
Udaasi ka dost ban chuka hu,
Hass du agar to agle pal hi,
Ek gum se thes (ठेस) lg jaati h,
Abb udaasi ko palunga,
Abb isse apna manta hu,
Hasi se phle abb koi hoga,
To udaasi ko apna janta hu,

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30 OCT 2022 AT 17:59

छठ था,
घर से दूर मै था,
माँ के ठेकुआ का मेहक,
मेरे नाक से गुजरा था,
मगर खा पाना कहाँ मुमकिन था!!
दउरा ले जाते वक़्त "खा लू क्या एक ठेकुआ",
मगर माँ की भक्ति देखा था हमने,
झूठा कर दू प्रसाद जिसे बोल रही थी माँ,
इतना भी कहाँ हम्मे दम था
छठी घाट पे वो चाय, जिसमे चीनी कम था,
मगर यारों संग वो पल बड़ा ही अनमोल था,

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23 OCT 2022 AT 7:28

Khafa hue the kayi dost mere,
Apko apnane se,
Abb aap dafa ho gaye ho to,
Bacha ek dost tha smjhane ko,
Abb wahi to h mera sacha dost kehlane ko,

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