JAI   (रेhnuma मुsafir)
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Joined 7 March 2020


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23 APR AT 18:14

कुछ तो मजबूरियां रही होंगी ,
कोई यूं ही बेवफा नही होता |

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25 MAR AT 14:32

नरसिंह ब्राह्मणवादी
अवतार नहीं बल्कि बौद्ध
धर्म की कलाकृति है।

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21 FEB AT 9:09

कभी महफिलों से गुजरता हूं
तो कुछ कमिने दोस्त
उसका नाम मेरे नाम
से जोड़ ही देते है

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20 FEB AT 22:41

दुश्मनी जम कर करो
लेकिन ये गुंजाइश रहे
जब कभी हम दोस्त हो
जाएँ तो शर्मिंदा न हों

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8 FEB AT 11:12

जीवन के हाशिये में तुम्हरा नाम,
लिख देना मेरे बस में तो नहीं।
पर जीवन के उम्मदा पलो में,
जिक्र तो जरूर होगा।

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4 FEB AT 12:11

ख्वाहिशें थी मेरी की,
मै तेरा मुखबिर बनू ।
पर कंबखत जमाने को,
वो भी न रास आई ।

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2 FEB AT 19:33

वह अफसाना जिसे अंजाम तक
लाना न हो मुनकिन
उसे एक खूबसूरत मोड़ पर
छोड़ देना ही अच्छा है।

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31 JAN AT 23:53

रूहानियत भरी इश्क का मोल क्या जाने वे,
जिन्हे इश्क का इल्म तक न था ।
रूहानियत भरी इश्क का मोल क्या जाने वे,
जिन्हे इश्क का इल्म तक न था ।
रूह से इश्क करते-करते ना जाने कितने दफ़न हुए,
कितने जल गए।
कइयो ने खोया अपना सादापन,
कइयो ने अपना जीवन,
पर वे मुस्कुराये और फिर अपने घर को चल दिये।

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17 JAN AT 22:20

कुछ बातें थी जो अधूरी रह गई,
कुछ गलत फैमियो ने पनाह ली,
कुछ समाज की कुरीतियों ने,
क्या अब नही मिलोगी ये तो पता नही,
पर लेखनी में तुम जरूर मिली हो और मिलती रहोगी ।।

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12 JAN AT 9:11

वास्तविक जीवन में उसका साथ तो छूटा ही था,🚶
पर आज सपनों की दुनिया से भी अलविदा
केह गई 🧎
||मेरी पहली मासूमियत भारी मोहब्बत ||

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