JAI   (रेhnuma मुsafir)
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Joined 7 March 2020


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Joined 7 March 2020
17 MAY AT 15:37

Aashiq ka maqsad khoobsurti ke mayne saaf kana,

Tumhe kagaz par utrane ki ghustakhi maaf krna,

Teri dakhal se khawabon ko Haseen

Karne laga hu main,

Tujhe dekhkar apsaron me yakeen

Krne laga hu main,

Teri zulf leharaye bas isliye hawa bni hai,

Tere aashikon ke liye pagalpan ki dava bani hai,

Tu shayaron ko ghazal deti hai,

Santo ko badal deti hai,

Zamana teri or aata hai,

Tu muh fer kar chal deti hai.

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16 APR AT 17:21

🙍 I am not yours, you
know na....
🧒 Yes I know that but
I will still always love you🌹.
Your memories will always
be in some corner of my heart❤️

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12 APR AT 18:09

किस हक से काहू उन्हें
लौट आओ मेरे पास
भुला दो सारी गलत फहमिया
चलो शुरुआत करते हैं
एक नये प्यार की दस्ता....

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13 MAR AT 7:00

इस नकाब पोश संसार में
जहां हर समय रिश्तों के
मायने बदलते रहते हो
वहा पूरी जिंदगी किसी एक
पर वार देने को सायद प्यार कहते ह

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10 FEB AT 21:03

इतने दिन बीत गए, लगता है,
जैसे कई सदियाँ बीत गईं,
पर मेरी भावनाएँ आज भी,
उसकी स्तुति करती हैं

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25 JAN AT 17:12

तुम्हारे लंबे लेख में तुम्हारी तहजीब झलकती है,
इसे तुम्हारी नादानी समझूं या तुम्हारा बचपना,
ये मेरे नन्हे दोस्त ।
पर तुम अपने समझ में अच्छा कर रहे हो,
ये मेरे नन्हे दोस्त।
बाकी मेरे सभी मित्र और छोटे भाइयों के मेरा प्यार और सम्मान।
सब आगे बढ़ते रहो यारो धन्यवाद...

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10 JAN AT 10:53

Every person is the Architect of his own fortune

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4 DEC 2024 AT 23:16

आँखों में इतनी शर्म रखना
कि हाथ खुद ब खुद रुक जाए
हरकतें ऐसी भी मत कर बैठना
की खुद के नजरों में गिर जाओ

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23 SEP 2024 AT 13:06

तुम छोड़ो भी कुछ कहने दो,

मैं कहता हूं मुझे कहने दो,

एक तरफा इश्क ही बेहतर है,

मैं करता हूं तुम रहने दो..!!

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6 SEP 2024 AT 22:56

'प्रेमिकाएं' चाहती रही.. 'अर्धांगिनी' कहलाने का हक
और 'अर्धांगिनी' का हठ रहा 'प्रेमिकाओं' सा प्रेम..!
जीवन की यही अतृप्ति "मृगतृष्णा" बन गयी ...

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