Jahil writer   (_ जाहिल...)
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Joined 4 September 2018


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14 SEP 2022 AT 20:27

मुझे कॉल करना...!

तुम कभी उदास हो, रोने का दिल करे तो मुझे कॉल करना,
शायद मैं तुम्हारे आंसू न रोक पाऊं, पर तुम्हारे साथ रोऊंगा जरूर।
कभी अकेलेपन से घबरा जाओ, तो मुझे कॉल करना,
शायद मैं तुम्हारा अकेलापन न मिटा पाऊं, लेकिन अकेलापन बाटूंगा जरूर।
कभी दुनिया बेरंग लगने लगे, तो मुझे कॉल करना,
शायद मैं पूरी दुनिया में रंग न भर पाऊं, लेकिन दुआ करूंगा तुम्हारी जिंदगी खूबसूरत हो।
और कभी ऐसा हो कि तुम्हारा कॉल आए और मेरी तरफ से कोई जवाब न मिले,
तो भाग कर मेरे पास चले आना, शायद उस वक्त मुझे तुम्हारी जरूरत हो।

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11 SEP 2022 AT 0:25

क्या कहा...?

इश्क़ का हादसा हुआ और तुम सही सलामत हो..?
अमां छोड़ो यार, दुर्घटना कोई और हुई होगी...

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9 SEP 2022 AT 23:21

जाने क्या ये ज़माना मुझसे चाहता है,
मेरा दिल तोड़कर मुझे हंसाना चाहता है।
जाने क्या बात झलकती है मेरे चेहरे से,
हर शख्स मुझे आजमाना चाहता है।

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9 SEP 2022 AT 19:00

अजीब होता है ज़िंदगी का सफ़र भी,
राहें कोई और बदलता है मंज़िल
किसी और की खो जाती हैं...

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9 SEP 2022 AT 0:22

मैं एक खामोशी तेरी,
तू अनकहा अल्फाज़ मेरा,
मैं उलझा सा बैचेन लम्हा,
तू जिंदगी भर का सुकून मेरा।

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7 SEP 2022 AT 23:38

क्या शिकवा, क्या मशवरा, क्या उम्मीद कीजिए,
जाने वाले ने जाने की ठानी है, जाने भी दीजिए...

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10 MAY 2021 AT 2:16

ओ पालनहारे, निर्गुण ओ न्यारे,
तुमरे बिन हमरा कोनो नहीं...
ये लाइन बचपन से ही गुनगुनाते आ रहे है, या ऐसा कहूं कि सिर्फ गुनगुनाते नहीं आ रहे यही मानते भी है।
पर आज जैसी परिस्थिति हमारे सामने है, कहीं ना कहीं हमारे विश्वास पर एक प्रश्न चिन्ह सा प्रतीत होता है।

इसी परिस्थिति को दर्शाने का प्रयास किया है, कृपया caption में पूरा पढ़े 👇🙏

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1 APR 2020 AT 21:53

डरता हूं आजकल लोगों को अपने राज़ बताने में,
क्युकी वक़्त नहीं लगता,
लोगो को किसी के दर्द का मज़ाक बनाने में...

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10 MAR 2020 AT 17:19

अपने ही हाथो से ख़ुद को,
रंग गुलाल लगा लेता हूँ...
तेरी ग़ैर-मौजूदगी में यूं ही,
मै होली मना लेता हूँ...

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22 FEB 2020 AT 1:33

इस ज़िन्दगी की बस इतनी सी कहानी है,
रोज़ एक रूत आनी है एक रुत जानी है...
बस इन्हीं आती-जाती बनती-बिगड़ती,
कहानियों के बीच ये जिंदगानी बितानी है...

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