jahajisandesh   (Jahajisandesh)
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पहले खुद को तलाशा ही नही शायद मुलाक़ात पहले हो जाती....
Joined 31 May 2019


पहले खुद को तलाशा ही नही शायद मुलाक़ात पहले हो जाती....
Joined 31 May 2019
17 JAN 2022 AT 6:17

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16 JAN 2022 AT 7:35

तुम जब भी मिलना ,
मत देना गुलाब ,
मुझे गुलाब कि खुशबू से कहीं ज़्यादा तुम्हारे बालों की खुशबू पसन्द हैं।

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16 JAN 2022 AT 7:31

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24 NOV 2021 AT 10:49

" इंसान "

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27 AUG 2021 AT 1:37

हम अभी भी हर रातों में एक उम्र काटते हैं,
हर दफ़ा मोबाइल में बड़े आस से झांकते हैं
थकी रहती हैं आँखे दिन भर तुम्हारी याद में,
आओगे कभी न कभी इसी आस में हम रोज जागतें हैं।

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24 AUG 2021 AT 23:08

कुछ दिनों से सियासी रंग हर कपड़े में चढ़ रहा है,
कोई राष्ट्र को बदनाम तो कोई तिरंगे का अपमान कर रहा है,
कौन सही है,
कौन गलत है,
इसका थोड़ा अनुमान लगाइए,
कुछ यादें ताज़ा करिए,
जरा संविधान पढ़कर आइए,
थोड़ी सी ही सही सियासी सहूलियत को बनाये रखिये,
तब किसी पर उँगली उठाइये।

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22 AUG 2021 AT 0:54

हर वर्ष दबी आवाज़ को ,एक जोरो की अंगड़ाई आती है,
हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन तक़लीफ़ ख़ुशी और कसमें दिलाई जाती है,
एक धागे के सहारे भी निडर हो जाती हैं न जाने कितनी बहनें,
उनको क्या पता इस धागे क़ीमत सरहद पर जान से भी चुकाई जाती है...

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30 MAY 2021 AT 22:31

किसी से मिले,और हमनें उनसे यूँ पहचान बनाई,
बस कुछ नहीं उन्हें हमनें अपने हाँथो से बनी चाय पिलाई...

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26 MAR 2021 AT 16:57

ज़ख्म सिलने के लिए कोई धागा मिल जाये,
तुझसे मिले दर्द भी तो ख्वाहिश इतनी की....ज़्यादा मिल जाये,
सुन रखा है तेरी दरियादिली के अनेकों क़िस्से,
चाहत इतनी....क़िरदार तुम्हारे क़िस्से को हमारा मिल जाये,

जो टकरा गए किसी मोड़पर यूँ अचानक,
ये ख्वाहिश वो मोड़ दोबारा मिल जाये.....

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10 MAR 2021 AT 9:48

"पुस्तकें ,
इंसानी दिमाग़ को आपस मे जोड़ने का सबसे उच्चस्तरीय साधन हैं।"

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