इक रात फिर कटी करवटों में,अपनी।इक रात फिर हम यूं नींद को तरसे।। - Jagrati gupta
इक रात फिर कटी करवटों में,अपनी।इक रात फिर हम यूं नींद को तरसे।।
- Jagrati gupta