होंगी जीत एक दिन मेहनत की
आलस को पीछे छोड़ आगे बढ़े
मस्तिष्क झुका कर खड़ा होगा ज़माना
भरोसा कीजिए ख़ुद पर.
हौसलों को पाने में कठिनाई बहुत हैं
नामुमकिन को मुमकिन करने का निशचय हों
राह की रुकावट बनने की आदत ज़माने की
भरोसा कीजिए ख़ुद पर.
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कमल की टहनी को कलम बना लुँ
होंगी जीत एक दिन मेहनत की
आलस को पीछे छोड़ आगे बढ़े
मस्तिष्क झुका कर खड़ा होगा ज़माना
भरोसा कीजिए ख़ुद पर.
हौसलों को पाने में कठिनाई बहुत हैं
नामुमकिन को मुमकिन करने का निशचय हों
राह की रुकावट बनने की आदत ज़माने की
भरोसा कीजिए ख़ुद पर.
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बीत रही रातें उनकी याद में
रहा नहीं कुछ मेरे पास में
कभी इधर कभी उधर देखें हम
रातें बीत रही करवटे बदल बदल।-
पल पल बिता जा रहा हैं
रेत पर निशान मिट रहे हैं
गलतियों से भरा बिता साल
बैठा हूँ साल के आख़िरी किनारे पर।
जीत कर आ रहा हैं नया साल
पुराना दे रहा नए को आने की बधाई
कर रहे हैं स्वागत हंस कर या रो कर
बैठा हूँ साल के आख़िरी किनारे पर।
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दिल की ख़्वाहिश नही होती पूरी
पल भर की सही न जाएं ज़ुल्मी दूरी
मेघों की घनघोर घटाओं का छाया जाल
विरह की पीड़ा ले रही इम्तिहान।
मन नही लगता अब काम काज़ पर
मुसाफ़िर बन बैठा हूँ जीवन की राह पर
कड़ी मेहनत का कोई जवाब नही मिलता
अब आराम रात को नही मिलता।
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हर राह पर अँधेरा हैं छाया
उजालों की कमी हुई जीवन में
साथ छुटा अपनों दोस्तों का
मालूम पड़ा ज़िन्दगी नाराज़ हैं।-
कैसा होगा स्कूल का पहला दिन
उगंली थाम बाबुल की जाऊं हर दिन
ख़ुशी का नही ठिकाना अभिभावकों का
बिटियाँ चली जीवन में कुछ सीखने को।
हर राह हर बाट दूँगा साथ तेरा मैं
सुबह बाह थाम छोड़ दूँ स्कूल तक
दिन दोपहर माँ लेने को आए तुझको
बिटियाँ चली जीवन में कुछ सीखने को।-
दिल की हँसी रूठी हैं
ज़िन्दगी भी झूठी हैं
रखी तमन्नाओं की चाहत
देखो अब हर शाम बूढ़ी हैं।
भाग दौड़ भरा जीवन यहाँ
सुस्ताने का मौका कहाँ
थक चुका हूँ जीवन के सफ़र में
देखो अब हर शाम बूढ़ी हैं।
ख़ुशियों का नही कोई ठिकाना
हर कोई चाहता हैं मुझे हराना
ख्वाहिशें दिल की पूरी नही होती
देखो अब हर शाम बूढ़ी हैं।
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आया हूँ दिल की बात कहने
पर कोई सुनने वाला नही
हुस्न की रानियाँ बहुत हैं
मोहब्बत का दिल नही किसी पे।-