*कभी साथ बैठो..*
*तो कहूँ कि दर्द क्या है...*
*अब यूँ दूर से पूछोगे..*
*तो ख़ैरियत ही कहेंगे...*
*सुख मेरा काँच सा था..*
*न जाने कितनों को चुभा गया..!*
*आईना आज फिर,*
*रिशवत लेता पकड़ा गया..*
*दिल में दर्द था और चेहरा,*
*हंसता हुआ पकड़ा गया...*
*वक्त, ऐतबार और इज्जत,*
*ऐसे परिंदे हैं..*
*जो एक बार उड़ जायें*
*तो वापस नही आते.....-
11 OCT 2019 AT 17:29