हां रोती हूं कभी कभी अकेले में !
लेकिन किसी को बताती नहीं हूं....
क्या गुजर रही हैं आजकल मुझपर???
ये किसी को जताती नहीं हूं.....
क्योंकि मुझे पता है .......
जो भी हालात हैं ना मेरे !!!!
उनसे मुझे खुद ही निपटना हैं..
क्यों किसी और पर बोझ बन कर
किसी का एहसान कमाती थोड़ी हूं...??
हां भरोसा है मुझे कि.....
एक दिन निकल जाऊंगी इन सबसे!!!!!
मैं बस वक्त के सहारे बैठकर
खुद को समझाती थोड़ी हूं...??
मेरी मेहनत, मेरी तक़दीर के
आगे जीत जाएगी एक दिन....
बस यहीं सोच कर मैं किसी भी
हालात से कभी घबराती नहीं हूं........
-
मैं बहुत जवाब देने में यकीन नहीं रखती
किसी को मेरे बारे में ग़लत सोचना है
तो मैं उसे पूरा मौका देती हूं कि वो सोचें
ना कि मैं उसको जवाब देके उसकी
मतलब
मतलब मैं क्यों उसको उसकी मौलिक
कल्पनाओं से मुक्त कर दूं
अगर उसकी कल्पनाएं हैं उसको
मजा आ रहा है सोचने में
और अगर मेरे बारे में चार
ग़लत बातें बोलने से उसकी
खुशी बढ़ रही हैं उसका
Happiness Index बढ़ रहा है
तो मैं क्यों उसकी खुशी कम करूं।।।।।
-
मन अब शांत कहा रहता है
सोते हैं तो चलता हैं ,जगतें है
तो चलना पड़ता है शोर हैं अंदर
कुछ पाना हैं जो मिलता नहीं है
सामने कुछ पड़ा है जो हाथों में
कमबख़्त आता नहीं है
सब साथ हो कर भी
अकेला सा लगता है
नींद कम और बेचैन सा पड़ा है
काम में सुकून और नींद में
काम हीं सोच रहे हैं
महीनों की मेहनत अब दिनों
की खुशी हीं देती हैं
मन अब सिर्फ भागने को कहता है
वो अब शांत कहां रहता है ।।।।-
घर से बेघर हो गई,करवटे नसीब की
दूर कितनी हो गई,मंजिलें करीब की
रफ़्ता रफ़्ता हो गयी,दिल में कितनी दूरियां
कल मोहब्बत थी, जहां आज हैं मजबूरियां
तमन्ना थी की,गुलशन में बहार देखेंगे
अपनी ही आँखों से अपने
हमसफर का प्यार देखेंगे
मुझे नहीं मालूम था
ऐ- मेरे मलिक....
की अपने ही घर में,अपना मज़ार देखेंगे......
-
छोड़ो अब जानें भी दो मैंने मान लिया
तुम गंगा जल और ज़हर हैं हम !!!!!!-
याद करने की हमने हद कर दी,
लेकिन,
भूल जानें में तुम भी कमाल
करते हो......!!!!
-
जब कभी मैं,
आऊँ तुम्हारे पास,
अपने कंधे से
दूसरे बोझ हटा देना .....
देना अपने कंधे का सहारा,
मेरा सुकून में आशियाना बना देना,
कुछ पूछना नहीं, ना कुछ बताना,
उन खामोश लम्हों को,
कर बंद आँखें बिताना ..
-
मन के अंदर अचानक दरक गया कुछ बिखरा तो नहीं पर टूट गया कुछ...
समझ नहीं आया ख़्वाब था कि सच ..पर मुट्ठी से अचानक सरक गया कुछ..
-