ठीक है माना हसी हो , जवा हो तुम
पर अब इतनी भी नहीं
की मेरे दिल पर राज करो-
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ठीक है माना हसी हो , जवा हो तुम
पर अब इतनी भी नहीं
की मेरे दिल पर राज करो-
काटे तो राह में आने ही थे
गुलाब को जो हमने मुसाफिर बनाया था
अपनी मंज़िल का-
जिंदगी में हर कदम चलने पर एक नई जंग शुरू हो जाती है
ये जिंदगी है साहब! यहां मुसीबत से ज्यादा उम्मीद लडवाती है-
मेरी मां मेरी आंखो में सूरमा इतनी शिद्दत से लगाती है
नजर को भी मुझे देखने पर नजर लग जाती है❤️-
वैसे तो मैं कुछ खास नहीं लिखता
पर अगर तेरा नाम भी लिख लु
तो खुद ब खुद फूल बरसने लगते हैं-
मेरी मौत पर मेरे दुश्मन भी रो दिए
काश तू पहले रोजाती तो मै मरता ही ना-
तन्हाई के आलम में एक सहारा मिल गया
मै डूबने ही वाला था तेरा नाम लिया
और किनारा मिला गया-