अंधेरा फैल गया है चारों तरफ
कोई चांद ढूंढकर लादो यारो-
टूटे दिल की - वकालत ना कर
इंसान को खुदा बनाकर इबादत ना कर
इश्क क्या है , एक आज़ाद परिंदा - उड़ जाने दे,
बेवज़ह खुदकी बुरी हालत ना कर
ज़रा मसरूफ़ रहा कर ए-दोस्त
ये रोज़-रोज़ दिल और दिमाग की अदालत ना कर
चलना तो अपने सब सीखा चुके है
गैरों से संभालना सीख , अपनी ज़लालत ना कर-
कुछ अनकही-कुछ अनसुनी जिंदगानी हूँ मैं,
माना आँखों से बहता हूँ-मगर सिर्फ पानी हूँ मैं
टूटते पहाड़ -संवरते महल ,
बिखरते पत्ते- खिलती कलियां
बदलते मौसम और दहकते दिलों
के पीछे, छिपी एक कहानी हूँ मैं
माना आँखों से बहता हूँ,
मगर सिर्फ पानी हूँ मैं-
शायरों से दोस्ती रखा करों जनाब
ज़ख्मी कागजों पर
मरहम का काम करते हैं इनके अल्फ़ाज़
हैरत तो इस बात पर है कि
ज़ख़्म भरने पर, कीमत में
मुरझाए हुए कागज के टुकड़े नहीं
एक मुस्कुराहट चाहते है
मुनाफ़े का सौदा है, सोच लो
वरना वक्त के पास वक्त नहीं होता-
हर एक शख्स के जेहन में
एक तस्वीर है मेरी
ओर कमाल तो देखिए,
किसी भी तस्वीर में, मैं नहीं-
कसमें - वादे,
दिल की बातें,
प्यार-मोहब्बत,
सब अच्छा है
जिससे भी कर
जी भर कर
और सब्र कर-
जा रहे हो तुम
मेरी एक बात याद रखना,
कहों,
कुछ नहीं
अच्छा सुनो
अपना ख़्याल रखना-
ना आँखों से आँसू रुकते है
ना लबों से मुस्कान जाती है
मेरी जान के दुश्मन, ए-दोस्त
मुझें आज भी तेरी याद आती है-