वो किसी पुराने संदूक सा है,
बिल्कुल सादा और थोड़ा सा खुरदुरा भी।
उसकी ख़ासियत ये कि,
मेरी सबसे कीमती चीज़ वो महफूज़ रखता है।— % &-
जब उन्हें लगता है उनका दिल से कोई सहारा नहीं,
घर भरा पूरा तो है, पर कोई हमारा नहीं।
नहीं बांटना चाहता कोई उनके ख्वाब,उनकी बात
खुद को एक मशीन सा चलाते हुए दिन और रात।
तब वो झुकने लगती हैं किसी ऐसे शख्स की ओर,
जो कुछ लम्हे ही सही उन्हें प्यार दे,
भले ही उनकी आपबीती न समझे पर हौसला दे।
तुम खुश होती हो तो तुम्हारी आँखें चमकती है !
ये याद दिलाये,
तुम्हारे पैर बहुत सुंदर हैं ये बताये,
जिसके प्यार के साथ , उससे जुड़े लोगों की उम्मीद का बोझ न आता हो,
जो भले साथ रह न पाए पर दूर से ही साथ निभाता हो।
ऐसे मे जब अपने भूल चुके है उनकी ख्वाइशों और सपनों को सभी,
क्या उसे हक़ नहीं की वो भी भूल जाये उन अपनो को कभी?-
फ़र्क बस ये कि अब दिल की कहने को कोई नहीं।
सुनने को तो ख़ैर यूँ पहले भी कोई न था।-
जो सवाल हम बार बार दूसरो से करते हैं,
वो वही सवाल है जो हम खुद से नही कर पाते।-
Some people are so self dependent that, they don't even need anyone else to ruin them.
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ज़िन्दगी से यही गिला है मुझे,
तू बहुत देर से मिला है मुझे।
हमसफ़र चाहिए हुज़ूम नहीं,
एक मुसाफ़िर भी काफ़िला है मुझे।
तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल,
हार जाने का हौसला है मुझे।
क्या ख़बर मैंने चाहतों मे यहां,
क्या गवाया, क्या मिला है मुझे।-
बच्चों की तरह बात बात पर
मुँह फुला लेने वालों को भी
Happy children's day 😀😛-
अच्छा सुनो,क्या तुम्हें कभी वो लड़की याद आती है?
जो खिलखिला के हंसती थी,
अल्हड़ सी थी , मासूम सी,
तुम्हारी दी छोटी सी चीज़ पर खुश हो जाती,
बात बात पर रूठ जाती,
पर तुम चेहरा लटका लो तो मान भी जाती।
तुम भी तो उसे अपने सोने से लेकर जागने तक
सब बताते नहीं थकते,
उससे बात करने को घंटो राह थे ताकते।
उसकी नादानियाँ तुम्हें मासूम लगती थी
और उसके हाथ कितने नाज़ुक।
कभी देखो अपनी मसरूफियत से सर उठा के,
वो औरत जो अब तुम्हारे साथ रहती है,
उसके हाथ अब भी नाज़ुक पर कुछ खुरदुरे से हैं,
आखरी दफा कब पकड़ा था उन्हें याद है?
प्रेमिका बनाने का बस सपना ही दिखाके
तुम उसे सिर्फ पत्नी ही बना पाए,
बस घर, परिवार, बच्चो मे यूँ उलझा दिया,
वो क्या थी वो खुद भूल जाये।
क्या कभी याद आती है वो लड़की?
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