,,, ,,
-
बेईमानियां छुपाता रहा इसांन ताउम्र दुनिया से,
अपने आप से आज तक नही छुपा पाया,
उम्र बिता दी दुनिया की नजरों में उठने की,
अपनी नजरों में आज तक नहीं उठ पाया।।-
हमारी आस तुम ही हो, भले तुम गैरों की आस रखो,
हमारी प्यास तुम ही हो, भले तुम समुंदर की प्यास रखो।।-
मोहब्बत उसने की, दिल गुलिस्तान भी उसने किया,
छोड़ा भी उसने, कब्रिस्तान भी उसने किया,
पर बेगैरत जमाने ने, बदनाम बस "जगमोहन" किया।।-
लौट कर आऊंगा, ये कहकर चला गया,
क्या करता वहां, फिर मैं भी चला गया,
हर बार इंतजार में ही करूं ये जरूरी तो नहीं,
मैंने तुम्हारी कलाई पर भी घड़ी बंधी देखी है।।-
हर बार इंतजार में ही करूं ये जरूरी तो नहीं,
मैंने तुम्हारी कलाई पर भी घड़ी को देखा है।।-
रुक जाएं जिंदगी में तो जलील कर देना,
शायद तैश में आकर, फिर एक बार जी लें।।-
जिस दिन छोड़ेंगे तेरा कूचा,
कतारें मैयत की बड़ी लंबी होंगी,
कुछ गालियों से रुखसत करेंगे हमें,
कुछ कि शायद आंखें भी नम होंगी।।-