J Singh   (✍ Jagmohan)
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Joined 1 January 2020


Joined 1 January 2020
11 APR 2022 AT 23:34

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11 FEB 2022 AT 23:28

बेईमानियां छुपाता रहा इसांन ताउम्र दुनिया से,
अपने आप से आज तक नही छुपा पाया,
उम्र बिता दी दुनिया की नजरों में उठने की,
अपनी नजरों में आज तक नहीं उठ पाया।।

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9 FEB 2022 AT 21:57

धोखा तेरी फितरत में था
तुम आईने के सामने क्या संवारते रहै

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20 JAN 2022 AT 0:39

हमारी आस तुम ही हो, भले तुम गैरों की आस रखो,
हमारी प्यास तुम ही हो, भले तुम समुंदर की प्यास रखो।।

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19 JAN 2022 AT 22:31

मोहब्बत उसने की, दिल गुलिस्तान भी उसने किया,
छोड़ा भी उसने, कब्रिस्तान भी उसने किया,
पर बेगैरत जमाने ने, बदनाम बस "जगमोहन" किया।।

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12 JAN 2022 AT 12:42

लौट कर आऊंगा, ये कहकर चला गया,
क्या करता वहां, फिर मैं भी चला गया,
हर बार इंतजार में ही करूं ये जरूरी तो नहीं,
मैंने तुम्हारी कलाई पर भी घड़ी बंधी देखी है।।

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8 JAN 2022 AT 22:54

हर बार इंतजार में ही करूं ये जरूरी तो नहीं,
मैंने तुम्हारी कलाई पर भी घड़ी को देखा है।।

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3 JAN 2022 AT 23:01

ये जितने मेरे चाहने वाले हैं,
दरअसल ये मुझ पर दांव लगाए बैठे हैं।।

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2 JAN 2022 AT 22:42

रुक जाएं जिंदगी में तो जलील कर देना,
शायद तैश में आकर, फिर एक बार जी लें।।

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30 DEC 2021 AT 20:50

जिस दिन छोड़ेंगे तेरा कूचा,
कतारें मैयत की बड़ी लंबी होंगी,
कुछ गालियों से रुखसत करेंगे हमें,
कुछ कि शायद आंखें भी नम होंगी।।

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