वो ज्ञान कहाँ से लाऊँ
जो मुझे मुक्ति दे दे।
वो भक्ति कहाँ से लाऊँ
जो मुझे प्रभु से मिला दे।-
सभी मित्रों को दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।
माँ लक्ष्मी हमेशा झोली भरी रखें।गणाधिपति समस्त विघ्न/बाधाओं को दूर करें।🙏
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मोहब्बत की गवाही तो ख़ुद तेरा दिल देगा
कोई और गवाही दे ये बात हमें मंज़ूर नहीं।
ग़र दिल ने ही मोहब्बत को महसूस न किया मेरे
तो लानत है उस मोहब्बत पर उसमें ख़ुदाई नूर नहीं।-
किसी की आँखों में रहकर इस क़दर गज़ब न ढाया करो
आँखों से दिल में उतरकर फिर आगोश में समाया भी करो।
जाने कितनी रातें आँखों में जागकर काटे हैं हमने अबतक
कभी भूले से ग़र आँख लगी तो सपनों में आया भी करो।-
दिल में उठ रहे उत्ताप की
व्यथा-कथा किससे कहूँ?
यहाँ अपने जो थे अब पराये हैं
इस भीड़ में किसको भला अपना कहूँ?
जाने कहीं कुछ हृदय में टूटता रहता हरपल
इस टूटन की पीर मैं किससे कहूँ?
चुप रहकर सहन करना नियति अपनी बनी
नियति जो सबकी बदलता उससे भला मैं क्या कहूँ?
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जो कुछ लिखा मैंनें मन के भाव लिखें हैं
कुछ टूटे हुए सपने कुछ अरमां अधूरे।
शायद कभी तुम पढ़ना चाहो दिल के हालात को
कुछ समझ में न आये तो भी पढ़ना तुम पूरे।
कोई लय,ताल,छंद,पिंगल नहीं यहाँ
बस तुकबंदियाँ हैं आधे-अधूरे।
कोई व्यथा कथा नहीं और न ही मिलन के गीत
जीवन में जैसा महसूस किया वही लिखे यूँ ही रे।
अक्षर जिसका कभी क्षरण होता नहीं है
उन्हें कभी बा-तरतीब कभी बे-तरतीब उकेरे।-
आशा बलवती होती है
जो लाखों झंझावातों के बाद भी
एक बेहतर कल की उम्मीद को
मरने नहीं देती।
यही आशा ही वो संबल है
जो इंसान को अवसादग्रस्त होने से
बचाती है।जूझने की शक्ति देती है ।
एक सुनहरे कल के निर्माण के लिए।
कैसा बीता वर्ष इसका आकंलन कर
गलतियों की पुनरावृत्ति न करने और
एक आभामय सुखद भविष्य की आशा में
नये वर्ष का स्वागत कीजिए।
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
आप सभी मित्रों का स्वागत है🌹🙏।-
साल के आखिरी किनारे पर
नववर्ष नये उम्मीदों के साथ खड़ा है।
ये परिवर्तन और कुछ अच्छे की आशा
जीवन के समयचक्र से जुड़ा है।
पर कहाँ तक लेखा-जोखा रखें हानि-लाभ का
मरती संवेदनायें, छिन्न होती मर्यादायें,गिरते मूल्यों का।
हर बीतते वर्ष का जब आकंलन हम करते हैं
नया वर्ष इससे बेहतर हो यही कामना करते हैं।-
बहुत समय नहीं लगता
टूटकर बिखरने में,
एक दगा ही काफी है
भरोसे को तोड़ने में।
बहुत समय नहीं लगता
चीजों को बदलने में
रात की कालिमा को
उषा की लालिमा बनने में।-
मुस्कराकर उसने कहा चल हट! यहाँ से जा कहीं
मैंने उसका रम्ज़ समझा फिर न भटका और कहीं।-