J P   (ज्योति प्रजापति)
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Joined 18 February 2020


Joined 18 February 2020
19 APR AT 22:53

नजर, दिल और दिमाग तीनों मंजिल पर रखो...
लोगों का क्या है? आज तुम्हे रोकने के लिए खड़े हुए हैं, कल तुम्हारे साथ चलने के लिए खड़े मिलेंगे। 🙌

✍️ज्योति_ngh😌

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13 MAR AT 10:51

जाने दो यार... कब तक रोककर रखोगे?🤷
कुछ लोगों को और उनसे जुड़ी उम्मीदों को।🫰
कुछ सपनों और उनसे जुड़े खास अपनों को।🥺
कुछ अनकही बातों को और मन में पनप रहे जज्बातों को।🧡
कुछ दबे हुए अरमानों को और जो बयां ना हो सके उन तकलीफों को।💔
कुछ उलझे हुए सवालों को और बैचेन करने वाले खयालों को।🙂
बस जाने दो.... 🙌

@✍️Jyoti_ngh

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11 MAR AT 16:57

"लड़की" के विवाह के बाद "पिता पक्ष" के लोग भी "मायकेवाले" कहलाते हैं। 😊
✍️Jyoti_ngh

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9 MAR AT 15:15

बहुत कुछ होता है कहने को कई बार,
लेकिन सही वक्त नहीं मिलता।🥀
जब मिले वक्त सही,
तो सही शख्स नही मिलता।
गर मिल जाए वो शख्स भी किस्मत से कभी,🙌
तो जज्बात बयां करने के लिए शब्द नही मिलता।🙁
कहीं ना कहीं, कुछ ना कुछ तो रह ही जाता है।,
इस जहां में सब को सबकुछ कहां मिलता है?🫰
✍️Jyoti_ngh

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9 MAR AT 15:00

एक ही तो मन है, वो भी ना जाने कहां गुम है? 🤷

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9 MAR AT 14:58

कुछ तो चाहत रही होगी उसके भी मन में,
यूं ही नही याद आ जाता है वो खालीपन में।🥺
✍️Jyoti_ngh

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9 MAR AT 14:55

सैकड़ों बैचेनियाँ मन में पाले हुए हैं,
फिर भी खुद को बखूबी संभाले हुए हैं।🫰
✍️Jyoti_ngh

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9 MAR AT 14:46

बात बस मन की है और मन ही तो बस में नही है 🫰

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8 MAR AT 20:40

सबकुछ तो है मेरे पास फिर ये खालीपन का एहसास क्यों?
दुख नही किसी बात का फिर भी ये मन उदास क्यों? 🙁🥀
✍️jyoti_ngh

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11 FEB AT 9:19

एक "प्रॉमिस" इस वर्दी से...
मरते दम तक फर्ज निभाने का।

एक #प्रॉमिस इस वतन की मिट्टी से...
सांसें चलने तक कर्ज चुकाने का।

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