मैं अपने इश्क़ का इज़हार करना चाहता हूँ मैं तुमसे केवल इश्क़ नहीं सच्चा प्यार करना चाहता हूँ डूब ही क्यूँ न जाऊँ तेरी आँखों की गहराई में पर वो दरिया एक बार पार करना चाहता हूँ मैं अपने इश्क़ का इज़हार करना चाहता हूँ मैं हर शहर की हर गली में तेरा ज़िक्र एक बार करना चाहता हूँ मैं अपने इश्क़ का इज़हार करना चाहता हूँ — % &
लौटा दो वो याद पुरानी, अपनी बातें तुम रखलो मिलना है तो मिलने आओ, झूठी मुलाकातें तुम रखलो छोड़ा है जिनके लिए, उनको साथ में रखना हम तो अकेले ठीक है, ये रिश्ते - नाते तुम रखलो ।।
कुछ भी न समझने वाला खरीदार मान बैठे है मतलब की खबर लेने वाला अख़बार मान बैठे है और समय निकालने के लिए करते है गुफ़्तगू हमसे एक दिन चलने वाला त्यौहार मान बैठे है ।
चला जाता है वो एक दिन , जिसे जाना होता है यूँ हंसकर बातें करना तो महज़ एक बहाना होता है और इस दिल की नादानी कोई न पूछे तो बेहतर है जो नसीब में नहीं है , उसी पर इस कमबख्त को आना होता है...।
जब हसकर बातें करती थी धूप में बरसातें करती थी दिन भी तुम्हीं से होता था और तुम ही रातें करती थी लेकिन अब वो नज़ारा नहीं है मेरी डूबती हुई कश्ती का वो किनारा नहीं है जानकार अब भी बना हुआ है वो मगर अब वो दोस्त हमारा नहीं है ...।