यूं कस कर हाथ थामे रखना
मैं लड़खड़ाती बहुत हूं....!!
की खुद ही पूछ लेना हाल मेरा
मैं तुमसे छुपाती बहुत हूं...!!
जानते हो ना दिल में समुंदर छुपा है
पर आपके सामने मैं मुस्कुराती बहुत हूं....!!-
कुछ प्रेम मिलने के लिए नहीं होते…
वे नहीं होते
साथ चलने के लिए।
वे वनवास काटते हुए
अनकहे और अनसुने रहने के लिए होते हैं।
वे एक दूसरे के पूरक होते हुए भी
अधूरे रहने के लिए होते हैं।
वे मात्र यही संतोष कर पाते हैं…
कि वे किसी के हृदय में हैं
कि वे किसी के मस्तिष्क में हैं
कि कोई उनकी सुधियाँ बुनता है
कि कोई उनके लिए अनायास मुस्कुराता है
या नम आँखें फेर लेता है।
कुछ प्रेम उत्सव नहीं मना पाते,
पर वे उपवास रखते है
और दो घूँट प्रेम उन्हें जीवित रखता है।।-
हररोज नही
मगर कभी कभी
तुम याद आते हो
जाने कैसे कहां कितने
अच्छे-बुरे दौर में होगी
अब
लगता है मुझे
कह देना चाहिए था
हां उस कविता की केंद्रबिंदु तुम थे
और मैं तुमको घेरे हुए एक वृत्त की तरह थी
देर बाद
मैं समझ पाया
हमदोनों समांतर रेखाएं हैं
साथ चल तो सकते हैं मगर मिल नहीं सकते..💔-
होते हैं कुछ दिल ऐसे भी,
जिनमे दर्द,
वेदना,
झुंझलाहट,
अकेलापन,
सपने,
ख्वाईशें और
अथाह दुःख समाया होता हैं
बस उसके हिस्से में नही आती हैं महोब्बत कभी..💔-
तुम्हारे जाने के बाद भी
एक अरसे से महसूस करती आई हूं, "तुम्हारा मुझमें होना"
मुझे मै याद नही हू ,लेकिन तुम्हारा प्रेम हमेशा याद रहा है,
ऐसे जैसे,
घर की दरारे,
अतीत की स्मृतियों में डूबा हुआ कोई दर्द,
बारिश में छत से टपकता पानी,
सूखे गुलाब की पंखुड़ियों में रेसा रेसा रिसता तुम्हारा प्रेम,
पड़ोस से आती दाल के तड़के की खुशबू,
और
"माँ की गोद में मेरा सर रखना.."-
मोहब्बत कभी अतीत का हिस्सा नहीं बनती,
यह होती है और रहती है।
आप शहर बदल ले
या देश छोड़ दें,
जिंदगी में बड़े से बड़ा बदलाव ले आए,
स्वयं को व्यस्त कर लें,
लेकिन मोहब्बत अपनी जगह से
जर्रा बराबर भी नहीं हटती।
मोहब्बत और MOVEON का
आपस में कोई रिश्ता नहीं है,
आप चाय या कॉफी पीते हुए
किसी कहानी या फिल्म में किरदारों को देखकर
कोई अधूरा गाना सुन के
और यहाँ तक की राह चलते हुए
किसी पुराने कागज के टुकड़े पर भी
सिर्फ मोहब्बत शब्द लिखा हुआ पढ़ लें तो
आपके दिमाग में उसका चेहरा आ जाएगा..!-
सुनो साहब.,,.
क्या वाकई में मैं तुम्हारा प्रेम हूं?
यदि हां, तो फिर मेरी बात मानते क्यूं नहीं
मेरी प्रतीक्षा मेरे अहसासों की जानते क्यूं नहीं
मेरे शब्दों की हक़ीक़त पहचानते क्यूं नहीं हां,,,, शायद,,, यही नियति है प्रेम की
हम प्रेम में होते तो जरूर है मगर
स्वीकारते नहीं
मगर मैंने तो स्वीकार किया है,,,,
बोलो ना,,, ये सच है ना????-
जाते हुए मैंने उससे पूछा
'फिर मिलेंगे क्या?'
उसने कहा 'नहीं'. .
मैंने पूछा नहीं या कभी नहीं
उसने कहा 'शायद कभी नहीं'.
शायद....
बस एक छोटे से शब्द ने फिर से
पैदा कर दी एक और बार
मिलने की उम्मीद.........-
ख्वाहिश मुकम्मल इश्क की थी हमें भी मगर
ख्वाब भी उनकी चाहत की तरह ही आधे रह गए,
न पूछ आज मुझसे अधूरे इश्क़ की दास्ताँ
मेरी यादें ही हैं जो दिल के किसी कोने में बाकी रह गए !-
जब दम घुटने लगे
बनावटी दुनिया के
इस जहाँ में तब,
एक रास्ता वापसी का
खुले रखना
लौट आना तुम 'वक्त' रहते
अपने वास्तविकता में
क्योंकि............ लौटने में
जितना वक्त लगेगा
दर्द उतना ही ज्यादा होगा!-