ना में चंगा ना तू चंगा ना ही कोई चंगा पॉलिटिक्स की दलदल में यहां हर कोई नंगा ढूंढ रहे है टोर्च उठाये कमिया इसकी उसकी ख़ुद में भी तो ढूंढ लो भैया कोई बिल्ला रंगा पप्पू पप्पू दीदी दीदी हर कोई चिल्लाये दिखना है अखबारों में बस लेकर ऐसे पंगा छीटाकाशी के दलदल में दाग सभी पे आये टांग खींचनी है कैसे भी दे दो एक अड़ंगा एक छोटी सी फुरकी भी रखती है ऐसी ताकत बाज़ारो में हो जाता है उससे देखो दंगा विश्वगुरु है कौन बना कैसा है अतुल्य भारत शर्म से झुका हुआ है देखो मेरी शान तिरंगा