कुछ तो मकसद जरूर है,ज़िंदगी जीने का
वरना सांस रुकने,में वक्त ही कितना लगता है।।-
गजब का नशा था तेरी आँखों में
जिनपे हम फिसल गए,
पीनी पड़ी शराब तेरे होते हुए
पता नहीं .....
आँखें बदली या,तुम बदल गए...
-
लफ्ज़ों में बयां कर पाऊं,
बेचैनी अपनी....
अभी,उस काबिल बनना बाकी है।।
-ishu-
नज़रों से उनकी हमपर जो वार हुए,
घायल हुआ दिल,और हम शिकार हुए
फिर कितनी ही दफा उनको चाहा होगा हमने,
लेकिन हर बार दिल के टुकड़े हजार हुए।।-
जो कभी पूरा शहर घूमते थे,
आंखों में आब लेकर
अब खुद ही खुद से रूठकर
खुद को मनाने लगते हैं,
ऐसे रंग से बेरंग होने में भी
यारों ज़माने लगते हैं।।
-ishu🌼-
जिस मांझे से उलझ सी गई थी
ये पूरी जिन्दगी हमारी,
और वो सरफिरा सा आशिक़,
उसे फकत,उमर की नादानी कह
तोड़ गया।।-
अश्कों का धुंधलका फिर कुछ इस कदर छाया,
की इस बार भी,चांद वो ईद का
हमें छोड़ पूरे शहर को नज़र आया।।
-ishu🌼-
यूं तो पीछे पड़े हमारे भी कई हैं
पर ये दिल उसी पे जा फिसलता है
और फिसले भी क्यूं ना,
पहले तो सिर्फ़ कयामत ही थीं
पर कमबख्त!अब वो
दिलकशी भी साथ लेके चलता है।।-