26 रमज़ानुल मुबारक यौमे विसाल
सय्यद शाह आले बरकात सुथरे मियां मारेहरवी
दिल को अच्छा तन को सुथरा जान को पुरनूर कर
सुथरे प्यारे नूरे हक़ शम्सुद्दूहा के वास्ते-
10 मुहर्रम यौमे आशुरा
उर्से इमामे सिलसिला ए बरकातिया सय्यद शाह बरकतुल्लाह इशकी मारेहरवी
दिनो दुनिया की हमे बरकात दे बरकात से
इश्क़ हक दे इश्क़िये इश्क़ इंतिमा के वास्ते-
10 जमादिउस्सानी यौमे विसाल
सय्यदुल ओलमा
सय्यद शाह आले मुस्तफा सय्यद मियां क़ादरी बरकाती मारेहरवी
हम को राहे मुस्तफा पर ग़ामज़न रखना मुदाम
मेरे मुर्शिद सय्यद शाह आले मुस्तफा के वास्ते
फ़ख्र है हमें हम है आले मुस्तफा वाले
मुस्तफा के कुंबे का हमपे दस्ते शफक़त है-
जब इंसान की अक़्ल मुकम्मल हो जाती है
तो उसकी गुफ़्तगू मुख्तसर हो जाती है-
15 रबिउस्सानी यौमे विसाल
अहसनुल ओलमा
सय्यद शाह मुस्तफा हैदर हसन क़ादरी बरकाती मारेहरवी
शाह हमज़ा के शैदाई अच्छे सुथरे के आशिक़
हा हा नाइबे शाह बरकत हसन मिया की बात करो
न जाने कितने ही पलते थे उनके टुकड़ो पर
न जाने कितनो की राहत थे अहसनुल ओलमा
(कलामे नज़मी)-
माहे रबिउल आखिर मुबारक
क़ादरीयम नारा ए या गौसे आज़म मी जनम
दम ज शाहे बरकतुल्लाह क़ुतुबे आलम मी जनम
गौसे आज़म की नियाबत शाह बरकत को मिली
उनके दरवाजे़ पे हर गम का उजाला देखा-
रिश्ते कभी भी मीठी आवाज़ खूबसूरत चेहरे होने से नही टिकते
वो टिकते है साफ दिल और सच्चे विश्वास से!!-
मुंतज़िर दोनों आलम थे जिनके लिये आये वो और फैली ख़ुशी हर तरफ
उनके आते ही जुल्मत के बादल छटे छाई तोहीद की रोशनी हर तरफ़-
बारहवी आई है गोया की बहार आई है
रब के मेहबूब के आने की खबर लाई है
इदे हजार क़ुरबा उस एक दिन पे नज़मी
है रोज़ सद सआदत बाराह रबिउल अव्वल-
माहे रबीउल अव्वल मुबारक
लुत्फी कहता है हर हर नफ्स मे यही
कितना अच्छा व प्यारा हमारा नबी
किसी की जय विजय हम क्यूं पुकारे क्या गरज हमको हमे काफी है सय्यद अपना नारा या रसूलुल्लाह-