ओम नमः शिवाय,हो सदा सहाय...
सिवा तेरे तो,कोई भी नज़र ना आए...SS-
संभाले रखना तुम कुछ ऐब मेरे,
बिछड़ते वक़्त ये बड़े काम आयेंगे तेरे...SS
ये बुँदे बारिश की है कोई
शराब नहीं..
पर इसके नशे का कोई
जबाब नहीं...SS-
महादेव!
जिस तरह हो रही है चाहूँ ऒर आषाढ़ की वृष्टि..
उसी तरह ही रहे हम पर तेरे कृपा की दृष्टि...SS-
मेरे जीवन में कुछ भी मेरे अनुकूल हो ना हो..
पर सब कुछ तेरे अनुकूल हो जरूर महादेव...SS-
सुनो प्रिये!
मैंने तुम्हें क्या क्या लिखा_
कि मैंने तुमको चाँद लिखा..
सिन्दूरी सी एक शाम लिखा..
तेरे देश को मैंने धाम लिखा..
तेरे प्रेम ही आठों याम लिखा
शीत ऋतू का धुप लिखा..
कई रंग कई रूप लिखा..
शीतल तुम्हें बयार लिखा..
रिमझिम तुम्हें फुहार लिखा..
मस्ती भरा अंदाज लिखा..
अंतर्मन का आवाज़ लिखा..
पीला सा एक गुलाब लिखा..
अधूरा सा कोई ख़्वाब लिखा..क्रमशः — % &मैंने तुम्हें ही सुर व साज़ लिखा..
मन को छूये वो आवाज़ लिखा..
मैंने अपना तुमको आज लिखा..
जो निभा सकूँ वो रीवाज़ लिखा..
खुशियों का अनोखा रित लिखा..
तुम्हें ही मन का मैंने मीत लिखा..
पुर्वजन्म का है छूटा प्रीत लिखा..
हुए स्वयं से युद्ध का जीत लिखा..
औरों से जुदा तेरा ढंग लिखा..
मैंने जीवन का हर रंग लिखा..
मुझपे छाया जो वो उमंग लिखा..
और हर जन्म में मेरे संग लिखा..क्रमशः— % &जुड़े का तुम्हें श्वेत फूल लिखा..
मैंने प्यारा सा एक भूल लिखा..
प्रेम को जीवन का मूल लिखा..
हर बात को मैंने फिजूल लिखा..
तुम्हें चटक लाल पलाश लिखा..
गुलमोहर लहराता काश लिखा..
जेठ का तुम्हें अमलतास लिखा..
व प्रेम का अथक प्रयास लिखा..
इष्ट मान तुम्हें क्षण क्षण लिखा..
मैंने रोम रोम से समर्पण लिखा..
हृदय का तुमको स्पन्दन लिखा..
यूँ कहें कि तुम्हें जीवन लिखा...SS— % &-
🙏 पापा जी 🙏
वसीहत में जो हौँसला,
जीवटता,धैर्य और मुस्कुराहट
दिया था हमें आपने..
चुनौतिपूर्ण परिस्थितियों
में भी उसे निज जीवन में संभाल
रखा है हमने...SS-
सासों की लय में हैं शिव सृष्टि की हर शय में शिव..
शव है सब यदी शिव नहीं, तभी प्राणों का आश्रय है शिव...SS-