इश्क़-ए- पनाश   (सुषमासुमन)
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सुनो..
संभाले रखना तुम कुछ ऐब मेरे,
बिछड़ते वक़्त ये बड़े काम आयेंगे तेरे...SS
Joined 14 June 2019


सुनो..
संभाले रखना तुम कुछ ऐब मेरे,
बिछड़ते वक़्त ये बड़े काम आयेंगे तेरे...SS
Joined 14 June 2019

प्यार तो प्यार ही है,हमें तो अब तेरा
तिरस्कार भी स्वीकार है महादेव...SS

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हर सुबह जियें व शाम गए मर हम,
हर दर्द का एक नया दर्द बना मरहम..
रखतें है दिन रात मेहनत का दमखम,
श्रम पे हम करें क्यों और कैसा शर्म..
ये जो बहते हुए पसीनों के हैं सिलसले,
कुछ तो हमें भी मेहनत का सिला मिले..
कर हमारा भी हिसाब भूल के सारे अनबन ..
ऐ ज़िंदगी मत भूल कि तेरे मजदूर हैं हम...SS

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अब ये जिन्दगी शायरी हो गई..
पढ़तें तो सब हैं,
पर कोई वाह वाह नहीं करता...SS

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तुकबंदी सा है हर अगला दिन..
क़ाफ़िया सा है अपना जीवन..
अब तो ज़िन्दगी शायरी हो गई,
रदीफ़ सी हुई ये सारी उलझन...SS

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कर जी तोड़ मेहनत अपनी किस्मत चमकना,
मेहनत मजदूरी से से क्यों आँख चुराना...SS

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विरह की इस ताप में..
तन मन मेरा तब हुआ शीतल जब,
यादों की तेरी चली बयार... SS

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महादेव तक ही जाएगी..
राह चुनो तुम कोई सी भी...SS

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किया है तुम्हीं ने सितम मेरे दिल पर..
करोगे इसे दूर तुम्हीं मुझसे मिल कर...SS

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महादेव,देखतें हैं हमारे संघर्ष ही नहीं
वो देख रहें हैं हमारी नियत भी... SS

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महादेव!
अदृश्य सी एक डोर
हमें खिंचे है तेरी ऒर...SS

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