वक्त से लेकर मोहलत ,शाम तले जाना गंगाघाट कभी,
उसकी खूबसूरती ,और जगमगाहट से
हो ना जाना बेचैन कहीं,
आंखें बन्द कर, वहां की हवाओं को महसूस करना।।
जो उठे लेहरे गंगा की, तुम गहरी सांसें भरना,
आरती की गूंज,घंटियों की धुन,
करके शीतल मन, और देदे जो रूह को सुकून।।।
दिखती ज़रा सी दूर,शिवजी को प्रतिमा है,
लहरों का उठता पानी,सुकून का करिश्मा है,
लहरों पर पड़ती जो मंदिरों की रोशनी है,
दुनिया में ऐसी बहुत कम ही खूबसूरती है,
थामकर खुद को बैठ जाना दो पल वहीं,
दावा है मेरा, लेकर जाओगे ज़िन्दगी भर के सुकून सभी।।।।
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