He left.
Maybe,
I wasn't worth
fighting for.-
चाय की प्याली हाथों में पकड़
और तुम्हें अपने ख्यालों में जकड़..
मैंने दो पल ही सही,
जिंदगानी जी ली॥-
Pour me
a glass
of love, honey.
Your poison
wasn't enough
to kill me.-
हर्फ़-हर्फ़ जोड़,
जिसे अपनी कविताओं मे उतारा|
फुरकत कि एक शाम क्या आई,
उसे किसी और कि नज़्मों में पाया|-
नजरें ना तुमने हटाई,
पलकें ना मैने झुकाई|
कहा ना तुमने कुछ, पर सुना मैने सब कुछ|
पास ना तुम आये, कदम ना मैने बढ़ाये|
खामोशी तो नही कहूँगी हलचल जो थी दिलों मे|
इंतज़ार तुम्हें भी था, वक्त में भी देख रही थी|
तुम्हें शायद मेरे जाने का, मुझे तुम्हारे पास बुलाने का|
हर बार की तरह
पलकें भी झूक गयी,
हलचल भी थम गयी|
तुम वहीं सपने मे रह गए,
आँख मेरी जो खुल गई||-
जब खुद मे खुशी तलाशना मुश्किल हो चला,
नीकल पड़े हम भी फकीरों के मौहल्ले।-
जरा दूर से देखों ना, यूं पास क्यों आतें हो?
क्यों तुम मेरी यूं धड़कने बड़ाते हो?
हाँ जानंति हूं मैं, बड़ा प्यार जताते हो पर,
जरा दूर से करो ना यूं पास क्यों आते हो?
एक पल तो तुम मुझको पलकों पर बिठाते हो
फिर अगले ही क्षण धूल चटाते हो।
जरा दूर ही रहो ना, यूं पास क्यों आते हो?
क्यों तुम हर पल मुझको इतना सताते हो॥
कभी तेरी गोद में सर रख कर सोया भी मैं करती थी,
तूं जब अपनी बाहों में भरता खुश भी होआ करती थीं।
आज वहीं बाहें जब मुझको,
बीन मरजी मेरे जकड़ती हें
उसी गोद में अब
अश्रु की नदियाँ बहती हैं...
अश्रु की नदियाँ बहती है॥-