Ishika Singh   ("अप्रेषित")
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And Escaping🌻
Joined 6 April 2019


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6 AUG AT 10:07

लेकिन ये जो बातें तुमसे
मैं खुलके नहीं कह पाती हूं
उनको समझ कर खुद से ही
तुम कैसे मुझे समझती हो?

जो भी हालात अपने मैं
तुमसे कभी छिपाती हूं
उन्हें भांपकर सामने तुम
हरदम कैसे आ जाती हो?

जब भी होकर हताश यहां से
मैं तुमको फोन लगती हूं
बिन कुछ पूछे मुझसे
तुम कैसे सब समझ जाती हो?

महज़ आवाज से तुम्हारी
मेरा मन हल्का हो जाता है
संजोके इतना सारा स्नेह
मां तुम कैसे रख पाती हो?

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2 AUG AT 12:02

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23 AUG 2022 AT 23:59

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9 AUG 2022 AT 22:51

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27 JUL 2022 AT 0:46

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24 JUN 2022 AT 23:11

साध तू असाध्य को
मिटा असंभव की संभावना,
देखने हैं गर सपने दोबारा
समर्पण की उनके प्रति रख भावना,

हैं चोचलें हजार
तू देखेगा तो दिखेंगे,
बन उनके लिए सूर तू
फिर देख कैसे रास्ते मिलेंगे,

चल चलता जा
कभी तो कांटे भी थकेंगे,
एक बार, दो बार, सौ बार
आखिर और कितना ही चुभेंगे,

सपना तेरा ईमान बनेगा
तो हिम्मत उनसे ही मिलती रहेगी,
बस सोच लेने से, ना मंजिल मिली है
ना कभी किसी को मिलेगी।

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23 JUN 2022 AT 14:04

कहो ऐ सनम तुम्हारी याद में कितने दिये रखें
एक दो होंगे काफी, या जला कर सौ दिये रखें,

तुम ना हुए बेवफा, इस बात की करें शिकायतें
या तुमको न रोक पाने की कोशिश से शिकवे रखें,

रात दिन नही, कभी कभी आने वाली तुम्हारी यादें
इन्हे बहने दें यूंही या ऐसे ही छिपाए रखें

ये मौसम, ये बारिशें, ये हवाएं ले ही आती हैं तुम्हें
कहो किस हद तक और कैसे हम इन पर पर्दें रखें

मलाल ना ही किया, ना अब कभी करते मिलेंगे
बस बादलों से कह दो, तुम्हारा हाल वाजेह रखें।

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20 JUN 2022 AT 23:58

खैर,
अब मैने आसमान देखकर
तुम्हारा हाल जानना सीख लिया है
तो मत आना तुम।

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15 JUN 2022 AT 23:44

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9 JUN 2022 AT 0:10

I remember you!

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