Isharaj Barnwal   (IRB(a girl with dreams))
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Joined 6 May 2018


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14 JUL 2022 AT 12:30

Expectation

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19 APR 2022 AT 19:13

सपनों की मिट्टी सी तक़दीर लेकर
एक सुंदर सा महल बनाएंगे ।
महल अगर सुख भी गईं कभी तो
उसमें फ़िर से परत चढ़ाएंगे ।।

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5 JAN 2022 AT 11:03

सारी किवाड़े जैसे बंद सी हो गई है
क़िस्मत की लकीरें न जाने क्यूं
मुझसे रूठ सी गई है ।।

हर कोशिश में सिर्फ़ नाकामयाबी ही मिल रही
हर मोड़ पर क़िस्मत जैसे खड़े बस ताने दे रही ।।

ज़िंदगी पता नहीं मुझसे क्या चाहती है
जिस करवट रूख करूं बस मायूसी ही हाथ आती है ।।

ज़िंदगी के इस पड़ाव पर ये कैसी मुश्किल है
दिल में तूफ़ान और होंठों पर हल्की सी हसीं है ।।

ख़ुद से भरोसा अब जैसे उठने सा लगा है
मैं बेकार हूं ऐसा ही लगने लगा है ।।

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31 DEC 2021 AT 22:18

हर साल
जनवरी हमें सपने दिखाता है
और दिसंबर हमारी औकात
इस साल फिर न जाने कितने सपने संजोए जाएंगे
दिल में रख हम हज़ारों ख्वाइशें
इस नए साल का जश्न मनाएंगे
उम्मीदों की कई मालाएं
वापस से पिरोई जाएंगे
और अंत में
कुछ अपने उम्मीदों को पूरा कर
मंज़िल की नई ऊंचाइयों को छू जाएंगे और
कुछ अपने आलस और कुछ किस्मत की मार से
साल के आख़िर दिनों में बस ख़ुद से लड़ते रहे जाएंगे ।।

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25 DEC 2021 AT 19:08

बहुत कुछ कहना है तुमसे
उसे सुनने तुम आओगे क्या।।

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7 OCT 2021 AT 13:40

जितना पास मैं तुम्हारे थी
मैं उतना किसी के पास नही आई ।
दिल की धड़कन भी तो जनाब
बस तुमने ही है सुनाई ।।

कुछ एहसासों के लफ्ज़ नहीं होते
शब्दों में बयां कर दू ऐसे वो पल नहीं होते ।
कोशिश कर लूं जितनी भी
वो पल भूला नहीं जाता ।
तुम्हारे होने पर मिलता सुकून
न जाने क्यों कही और मिल ही नहीं पाता ।।


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12 SEP 2021 AT 7:33

।। कॉलेज की यादें ।।

एक दौर खत्म हो रहा है
स्कूल तो छोड़ा था अब कॉलेज भी छोड़ना पड़ रहा है।।

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6 SEP 2021 AT 23:31

सो जाता हूं रातों को अक्सर ये उम्मीद लेकर
कि कल की सुबह अपनी मुठ्ठी में होगी ।।

छोड़ देता हूं कुछ ख्वाइशों को ये सोचकर
कि ख्वाइशें मेरे हक़ की रही तो
मुक्कद्दर उसे मेरी झोली में भरेगा ।।

ख़ामोश हो जाता हूं अक्सर ये सोचकर
कि समझने वाला तो मेरी हरकतें भी पढ़ लेगा ।।

बंद कर देता हूं किवाड़े अक्सर
कि जिसे झांकना होगा
वो तो खिड़की से भी झांक लेगा ।।

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23 JUL 2021 AT 21:44

एक अलग ही सुकून है
रात की इस गहराई में
चांद लगता है कितना खूबसूरत
यूं एकांत तन्हाई में ।।

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16 JUL 2021 AT 3:07

पूरे दिन के शोरगुल के बाद
रात में सन्नाटा पुकारता है
लगता है मानो कहीं
अल्फाज़ ने गहरे जख्म दिए है ।।

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